यह ख़बर 15 फ़रवरी, 2013 को प्रकाशित हुई थी

हेलीकॉप्टर सौदा : क्या है दलाली दिए जाने का सच?

खास बातें

  • इटली की अदालत में दायर दस्तावेज के मुताबिक पूर्व वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एसपी त्यागी की मौजूदगी में पैसा नहीं दिया गया, लेकिन साथ में यह भी कहा गया है कि एक लाख यूरो नकद के रूप में उनके रिश्ते के भाइयों को दिए गए।
नई दिल्ली:

वीवीआईपी के लिए हेलीकॉप्टरों की खरीद से जुड़े सौदे के बारे में नई जानकारियां सामने रही हैं। इटली के अभियोजकों की रिपोर्ट के मुताबिक हेलीकॉप्टर निर्माता कंपनी ऑगस्टा वेस्टलैंड के कथित बिचौलिये राल्फ हैश्के ने पूर्व भारतीय वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी से मुलाकात के दौरान उनके पांव छुए थे।

रिपोर्ट के मुताबिक हैश्के ने त्यागी से छह-सात बार मुलाकात की थी और उनसे टेंडर की ताजा स्थिति के बारे में जानकारी मिलती रही। हालांकि त्यागी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वह बिचौलिये से एक बार ही मिले।

इटली की अदालत में दायर दस्तावेज के मुताबिक पूर्व वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एसपी त्यागी की मौजूदगी में कोई पैसा नहीं दिया गया, लेकिन साथ में यह भी कहा गया है कि एक लाख यूरो नकद के रूप में उनके रिश्ते के भाइयों को दिए गए। इस काम के लिए आइडीएस इंडिया और आइडीएस ट्यीनिशिया जैसी कंपनियों का इस्तेमाल हुआ।

इसके अलावा लंदन के एक अन्य बिचौलिये को 216 करोड़ रुपये मिले। यह दूसरा बिचौलिया लंदन का क्रिश्चयन माइकल है। संभव है कि यह पैसा भी भारत आया हो। अदालती दस्तावेजों के मुताबिक पूर्व वायुसेना प्रमुख त्यागी ने हेलीकॉप्टर सौदे के पैमाने बदलवाए और इंजन फेल होने की हालत में उड़ान की तुलना का पैमाना जोड़ दिया, जिसका फायदा ऑगस्टा वेस्टलैंड को मिला, जिसमें तीन इंजन हैं। हालांकि भारतीय वायुसेना ने इस बात से इनकार किया है।

वहीं, इस कथित घोटाले में आईडीएस इंडिया नाम की कंपनी का नाम सामने आ रहा है, जिसके जरिये 140 करोड़ रुपये की रिश्वत पहुंचाने के आरोप लग रहे हैं। लेकिन पता चला है कि कंपनी मामलों के मंत्रालय के रिकॉर्ड में आईडीएस इंडिया नाम की कोई कंपनी है ही नहीं। जबकि इटली की अदालत के दस्तावेज में साफ कहा गया है कि आईडीएस इंडिया के जरिये 140 करोड़ रुपये दिए गए। इसके अतिरिक्त आईडीएस ट्यूनीशिया नाम की कंपनी के मार्फत भी भारतीय अधिकारियों को पैसे दिए गए।

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रिश्वतों का यह सिलसिला साल 2007 से 2011 तक जारी रहा, जिसके लिए सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के नाम पर फर्जी बिल बनाए गए। इटली के अभियोजन पक्ष की रिपोर्ट के मुताबिक रिश्वत के इस मामले में एयरोमैट्रिक्स, आईडीएस मॉरिशस, आईडीएस इंफोटेक नामक कंपनियों के नाम भी शामिल हैं, जिनमें से आईडीएस इंफोटेक दिखावे के लिए फिनमेकानिका और ऑगस्टा वेस्टलैंड के लिए सॉफ्टवेयर बनाती रही।