यह ख़बर 31 जनवरी, 2013 को प्रकाशित हुई थी

सिनेमैटोग्राफ कानून में पुनर्विचार के लिए बनेगी समिति : तिवारी

खास बातें

  • कमल हासन की फिल्म ‘विश्वरूपम’ को लेकर उठे विवाद के बीच सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने गुरुवार को कहा कि सिनेमाटोग्राफ कानून पर पुनर्विचार किया जाएगा। उन्होंने इसके लिए एक समिति का गठन करने का फैसला किया है।
नई दिल्ली:

कमल हासन की फिल्म ‘विश्वरूपम’ को लेकर उठे विवाद के बीच सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने गुरुवार को कहा कि सिनेमाटोग्राफ कानून पर पुनर्विचार किया जाएगा। उन्होंने इसके लिए एक समिति का गठन करने का फैसला किया है।

तिवारी ने कहा कि कानून पर पुनर्विचार की आवश्यकता है ताकि किसी ऐसी फिल्म को लेकर अनिश्चितता की स्थिति को समाप्त की जा सके, जिसे केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की मंजूरी मिल चुकी हो।

उन्होंने कहा कि सूचना प्रसारण सचिव से कहा गया है कि वह समिति बनाएं, जो कानून पर पुनर्विचार करे और देखे कि संशोधन की आवश्यकता है या नहीं।

तिवारी ने कहा कि समिति विचार करेगी कि क्या कानून के वैधानिक या नियामक स्वरूप को अधिक पुष्ट करने की आवश्यकता है ताकि सुनिश्चित हो सके कि केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के फैसलों का कार्यान्वयन हो।

संविधान की सातवीं अनुसूची के मुताबिक केन्द्र को अधिकार है कि वह किसी फिल्म को प्रदर्शन के लिए योग्य या अयोग्य प्रमाणित करे।

तिवारी ने कहा कि केन्द्र सरकार केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के जरिये इन अधिकारों का इस्तेमाल करती है। एक बार बोर्ड किसी निश्चित निष्कर्ष पर पहुंचता है कि उम्मीद की जाती है कि राज्य सरकारें उस फैसले को लागू करेंगी क्योंकि यह मामला विशेष रूप से केन्द्र के अधिकारक्षेत्र में आता है।

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जयललिता के नेतृत्व वाली तमिलनाडु सरकार द्वारा हासन की फिल्म के प्रदर्शन पर प्रतिबंध के परिप्रेक्ष्य में तिवारी ने यह प्रतिक्रिया दी। इस फिल्म को हालांकि केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की मंजूरी मिल चुकी है।