Citizenship Bill: राज्यसभा में नागरिकता बिल पर बिखरी विपक्षी एकता, जितना अंदाजा था उतने भी नहीं पड़े विरोध में वोट

नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizenship Amendment Bill) राज्यसभा से भी पारित हो चुका है. बीते बुधवार करीब 8 घंटे तक उच्च सदन में तीखी बहस के बाद इस बिल को लेकर वोटिंग हुई और 125 सांसदों के समर्थन के बाद यह राज्यसभा से पास हो गया.

Citizenship Bill: राज्यसभा में नागरिकता बिल पर बिखरी विपक्षी एकता, जितना अंदाजा था उतने भी नहीं पड़े विरोध में वोट

नागरिकता संशोधन विधेयक दोनों सदनों में पास हो चुका है.

खास बातें

  • नागरिकता संशोधन विधेयक राज्यसभा से भी पास
  • राष्ट्रपति के दस्तखत के बाद बन जाएगा कानून
  • राज्यसभा में बिल पर बिखरी नजर आई विपक्षी एकता

नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizenship Amendment Bill) राज्यसभा से भी पारित हो चुका है. बुधवार करीब 8 घंटे तक उच्च सदन में तीखी बहस के बाद इस बिल को लेकर वोटिंग हुई और 125 सांसदों के समर्थन के बाद यह राज्यसभा से पास हो गया. बिल के विरोध में 99 वोट पड़े थे. वोटिंग के दौरान विपक्षी एकता बिखरी हुई नजर आई. दरअसल विपक्ष को उम्मीद थी कि बिल के विरोध में करीब 110 सांसद वोट करेंगे लेकिन यह आंकड़ा 99 पर आकर रुक गया.

नागरिकता संशोधन विधेयक पर वोटिंग के दौरान राज्यसभा में 224 सांसद मौजूद थे. बहुमत के लिए 113 वोट चाहिए थे. बिल को लेकर बीजेपी ने उम्मीद जताई थी कि इसके समर्थन में 124 से लेकर 130 वोट आ जाएंगे. 125 वोटों के साथ वह इस कयास पर खरे उतरे. दूसरी ओर बिल के विरोध में 110 वोट डाले जाने की उम्मीद जताई जा रही थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

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कांग्रेस की अगुवाई वाले 'यूपीए' में 64 सांसद हैं और उन्हें अन्य दलों जैसे- तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तेलंगाना राष्ट्र समिति, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (एम) व अन्य के 46 सांसदों के साथ आने की उम्मीद थी. यानी साफ है कि बिल के विरोध में 110 वोट पड़ने चाहिए थे लेकिन मिले सिर्फ 99. एनसीपी के दो सदस्य सदन में मौजूद नहीं थे. टीएमसी और एसपी के एक-एक सांसद भी बुधवार को राज्यसभा नहीं पहुंचे. वोटिंग से पहले शिवसेना के तीन सांसदों ने हाउस से वॉकआउट कर लिया.

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टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने उच्च सदन में संशोधन प्रस्ताव रखा था, जो वोटिंग के बाद खारिज हो गया. कई अन्य संसोधन प्रस्ताव भी ध्वनि मत से खारिज कर दिए गए. बताते चलें कि नागरिकता संशोधन बिल पास कराने का यह मोदी सरकार का दूसरा प्रयास था. सरकार के पहले कार्यकाल में इस बिल को लोकसभा से पारित करवा लिया गया था लेकिन इसे राज्यसभा में नहीं रखा जा सका था. संसद भंग होने के बाद इस बिल को एक बार फिर से लोकसभा में पास करवाते हुए मोदी सरकार ने राज्यसभा से भी पारित करवा लिया है. अब राष्ट्रपति के दस्तखत के बाद यह कानून की शक्ल ले लेगा.

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