'जब किसान आंदोलन कर रहे, तब राष्ट्रपति कृषि कानूनों की प्रशंसा कर रहे, यह दुर्भाग्यपूर्ण': आनंद शर्मा 

शर्मा ने कहा, "लॉकडाउन में रेलगाड़ी नहीं चली, बस नहीं चली. लाखों लोगों को पैदल चलना पड़ा. रेलवे स्टेशन पर एक बच्चा अपनी मरी हुई मां का कंबल हटा रहा, इसका कहीं जिक्र भी नहीं है. मैं इसकी निंदा करता हूं. अभिभाषण में कहना चाहिए था कि हमें इस बात की तकलीफ है."

'जब किसान आंदोलन कर रहे, तब राष्ट्रपति कृषि कानूनों की प्रशंसा कर रहे, यह दुर्भाग्यपूर्ण': आनंद शर्मा 

आनंद शर्मा ने कहा कि किसानों को अपने अधिकारों के लिए लड़ने के लिए मजबूर किया गया, इसके लिए केंद्र जिम्मेदार है.

खास बातें

  • कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा ने केंद्र सरकार की नीति की आलोचना की
  • राष्ट्रपति के अभिभाषण पर जताई नाराजगी, कृषि कानून की चर्चा दुर्भाग्यपूर्ण
  • कहा- लाल किला पर हिंसा के लिए सरकार जिम्मेदार
नई दिल्ली:

राज्यसभा (Rajya Sabha) में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा (Anand Sharma) ने राष्ट्रपति के अभिभाषण (Presidential Address) पर चर्चा के दौरान केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना की है और कहा  कि जब तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में देश में बड़े पैमाने पर किसान आंदोलन कर रहे हों, और ठीक उसी वक्त देश के राष्ट्रपति उन्हीं कानूनों की संसद में तारीफ कर रहे हों तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है. शर्मा ने शुक्रवार को कहा कि किसानों को अपने अधिकारों के लिए लड़ने के लिए मजबूर किया गया और जो स्थिति पैदा हुई है उसके लिए केंद्र जिम्मेदार है.

कांग्रेस सांसद ने कहा कि किसान आंदोलन के दौरान गणतंत्र दिवस के दिन लाल किले की घटना से पूरा देश आहत है. उन्होंने कहा कि इस घटना की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. शर्मा ने कहा कि देश में विषम परिस्थितियां हैं. केंद्र सरकार ने किसानों को घर से बाहर निकलकर प्रदर्शन करने को मजबूर किया है.उन्होंने किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान गणतंत्र दिवस की हिंसा के दौरान घायल हुए पुलिस कर्मियों और अधिकारियों के प्रति सहानुभूति व्यक्त की.

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उन्होंने कहा, "राष्ट्रपति का अभिभाषण सरकार का निराशाजनक प्रशंसा पत्र है. इस अभिभाषण में तीन कृषि कानून का अनावश्यक उल्लेख किया गया है जो दुर्भाग्यपूर्ण है." उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति वही पढ़ते हैं जो सरकार लिख कर देती है. शर्मा ने कहा, "एक तरफ किसान आंदोलन चल रहा है, दूसरी तरफ संसद में उसी कानून की तारीफ हो रही है. इससे ज्यादा दुख की बात नहीं हो सकती."

उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में विदेश नीति की चर्चा तक नहीं है. शर्मा ने पूछा कि क्या हम अलग-थलग पड़ गए हैं? यहां तक कि पड़ोस तक की चर्चा नहीं है.  शर्मा ने कहा, "लॉकडाउन में रेलगाड़ी नहीं चली, बस नहीं चली. लाखों लोगों को पैदल चलना पड़ा. रेलवे स्टेशन पर एक बच्चा अपनी मरी हुई मां का कंबल हटा रहा, इसका कहीं जिक्र भी नहीं है. मैं इसकी निंदा करता हूं. अभिभाषण में कहना चाहिए था कि हमें इस बात की तकलीफ है."

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कांग्रेस सांसद ने कहा, "यह जरूरी नहीं है कि जो सरकार बोले उसे जनता मान ही ले या विपक्ष उसके साथ खड़ा हो तो फिर लोकतंत्र नहीं है. सरकार का दायित्व है जनता की आवाज को सुनना लेकिन विरोध प्रदर्शन को आप अपराध करार दे रहे हैं लेकिन जब किसान पर अत्याचार होगा या होता है तो उसके साथ देश खड़ा होगा सरकार को यह भूलना नहीं चाहिए."

उन्होंने कहा, "आज हमने अपनी क्या पहचान बना ली है? we have become international internet shutdown capital of world." शर्मा ने कहा कि यह संसद और सत्र सरकार को अवसर दे रहा है कि वो अपनी गलती सुधारे. राज्यसभा में कांग्रेस नेता मलिकार्जुन खड़गे ने कहा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि जो कानून तुम्हारे लिए सही नहीं उसकी अवहेलना करना तुम्हारा अधिकार है.

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