जस्टिस कर्णन को छह महीने की सजा देने का फैसला सोच-समझकर लिया गया : सुप्रीम कोर्ट

जस्टिस कर्णन को छह महीने की सजा देने का फैसला सोच-समझकर लिया गया : सुप्रीम कोर्ट

कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायधीश न्यायमूर्ति सीएस कर्णन (फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली:

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायधीश न्यायमूर्ति सीएस कर्णन को अवमानना का दोषी ठहराने के बाद उन्हें छह माह की सजा देने के लिए सर्वोच्च अदालत के सात न्यायाधीशों ने ''विवेकपूर्ण निर्णय'' किया.

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा ''सातों न्यायाधीश एक विवेकपूर्ण निर्णय करने के लिए एकत्र हुए''. यह टिप्पणी प्रधान न्यायाधीश ने तब की जब वह तीन तलाक के मुद्दे पर सुनवाई कर रहे चार अन्य न्यायाधीशों के साथ बैठे थे.

दोपहर के भोजन के बाद तीन तलाक के मामले पर सुनवाई के लिए जब पीठ बैठी तब न्यायमूर्ति कर्णन की ओर से अधिवक्ता मैथ्यू जे नेदुमपारा ने नौ मई का आदेश वापस लेने के लिए अपील का जिक्र किया.

तब प्रधान न्यायाधीश ने अधिवक्ता से कहा कि पीठ एक अलग मामले पर सुनवाई कर रही है और उन्हें इसका जिक्र नहीं करना चाहिए, बल्कि अपनी बात उन्हें रजिस्ट्री के समक्ष रखनी चाहिए. न्यायमूर्ति खेहर ने कहा ''हम अलग पीठ में हैं''. बहरहाल, अधिवक्ता ने कहा ''मैं केवल प्रधान न्यायाधीश को संबोधित कर रहा हूं''. साथ ही कहा कि अपील न्यायमूर्ति कर्णन की सजा के निलंबन से संबंधित है.

इस पर प्रधान न्यायमूर्ति ने कहा ''आप हर बार यहां क्यों आ रहे हैं? जाइये और (याचिका की मूल प्रति) रजिस्ट्री को दीजिए. आप किसी भी प्रक्रिया को स्वीकार नहीं कर रहे हैं. आप केवल अपना डंडा यहां चला रहे हैं. यह यहां काम नहीं करता''. इसके पश्चात अधिवक्ता वापस चले गए और पीठ ने तीन तलाक पर भोजनावकाश के बाद सुनवाई बहाल कर दी.

दिन भर की सुनवाई के बाद वकील ने पीठ का ध्यान आकर्षित करने की एक और कोशिश की, लेकिन पीठ उनकी ओर ध्यान दिए बगैर उठ गई.

(इनपुट भाषा से)


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