अरुण जेटली ने संविधान की इस व्यवस्था को जम्मू-कश्मीर के विकास में बाधक बताया

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि संवैधानिक रूप से दोषपूर्ण और जम्मू-कश्मीर के विकास में रोड़ा है अनुच्छेद 35 ए

अरुण जेटली ने संविधान की इस व्यवस्था को जम्मू-कश्मीर के विकास में बाधक बताया

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर में लागू अनुच्छेद 35 ए को 1954 में संविधान में गुप्त रूप से शामिल किया गया.

खास बातें

  • जम्मू-कश्मीर का सात दशक का इतिहास कई सवाल पेश कर रहा
  • अनुच्छेद 35 ए को 1954 में गुप्त रूप से शामिल किया गया
  • अनुच्छेद 35 ए संविधान सभा द्वारा तैयार मूल संविधान का हिस्सा नहीं
नई दिल्ली:

वित्त मंत्री अरुण जेटली (Arun Jaitley) ने गुरुवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में गैर-स्थायी निवासियों के संपत्ति खरीदने पर रोक लगाने वाला अनुच्छेद 35 ए (Article 35A) ‘संवैधानिक रूप से दोषपूर्ण' है और राज्य के आर्थिक विकास को बाधित कर रहा है. जेटली का यह बयान भारतीय जनता पार्टी (BJP) द्वारा राज्य में विधानसभा चुनाव जल्द कराने पर जोर देने के बीच आया है. राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू है और आतंकवाद प्रभावित राज्य से संबंधित सभी नीतिगत फैसले केंद्रीय मंत्रिमंडल लेता है.

जेटली (Arun Jaitley) ने एक ब्लॉग में कहा कि जम्मू और कश्मीर (Jammu-Kashmir) राज्य का सात दशक का इतिहास भारत के सामने कई सवाल पेश कर रहा है. उन्होंने पूछा, ‘‘जिस नेहरूवादी रास्ते पर राज्य आगे चला था क्या वह ऐतिहासिक भूल थी या यह सही रास्ता था. ज्यादातर भारतीय आज पहले वाली बात को मानते हैं.'' जेटली ने कहा, ‘‘क्या आज की हमारी नीति त्रुटिपूर्ण दृष्टि से निर्देशित होनी चाहिए या ढर्रे से हटके ऐसी सोच से निर्देशित होनी चाहिए, जो वास्तविकता के अनुरूप हो?''

भाजपा के वरिष्ठ नेता और आम चुनावों के लिए पार्टी की प्रचार समिति के प्रभारी ने कहा कि अनुच्छेद 35 ए (Article 35A) को 1954 में संविधान में राष्ट्रपति की अधिसूचना के जरिए गुप्त रूप से शामिल किया गया. उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 35 ए न तो संविधान सभा द्वारा तैयार किए गए मूल संविधान का हिस्सा था, न ही यह संविधान के अनुच्छेद 368 के तहत संविधान संशोधन के जरिए आया था, जिसके लिए संसद के दोनों सदनों के दो-तिहाई बहुमत से अनुमोदन की आवश्यकता होती है.

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जेटली (Arun Jaitley) ने कहा कि यह अनुच्छेद राज्य सरकार को कुछ नागरिकों को स्थायी निवासी घोषित करके और कुछ अन्य को छोड़कर राज्य में रहने वाले दो राज्य के नागरिकों के बीच भेदभाव करने का अधिकार देता है. उन्होंने कहा कि यह राज्य के स्थायी निवासियों और अन्य सभी भारतीय नागरिकों के बीच भी भेदभाव करता है. उन्होंने कहा, ‘‘लाखों भारतीय नागरिक जम्मू और कश्मीर (Jammu-Kashmir) में लोकसभा चुनावों में वोट देते हैं, लेकिन विधानसभा, नगरपालिका या पंचायत चुनावों में नहीं. उनके बच्चों को सरकारी नौकरी नहीं मिल सकती. वे अपनी संपत्ति नहीं खरीद सकते और उनके बच्चे सरकारी संस्थानों में दाखिला नहीं ले सकते.''

मंत्री ने कहा, ‘‘यही बात देश में कहीं और रहने वालों पर भी लागू होती है. राज्य से बाहर शादी करने वाली महिलाओं के उत्तराधिकारी विरासत में संपत्ति नहीं हासिल कर सकते या उसकी मिल्कियत से उन्हें बेदखल कर दिया जाता है.'' उन्होंने कहा कि राज्य के पास पर्याप्त वित्तीय संसाधन नहीं हैं और अनुच्छेद 35 ए (Article 35A) की वजह से उसकी अधिक संसाधन जुटाने की क्षमता पंगु हो गई है. उन्होंने कहा कि कोई भी निवेशक उद्योग, होटल, निजी शिक्षण संस्थान या निजी अस्पताल स्थापित करने के लिए तैयार नहीं है क्योंकि वह न तो जमीन या संपत्ति खरीद सकता है और न ही उसके अधिकारी ऐसा कर सकते हैं.

VIDEO : अनुच्छेद 35 ए की वैधता पर क्यों है सवाल

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जेटली (Arun Jaitley) ने कहा, ‘‘अनुच्छेद 35 ए (Article 35A) जो संवैधानिक रूप से दोषपूर्ण है. इसका उपयोग कई लोग राजनीतिक ढाल के रूप में करते हैं, लेकिन इसने राज्य के आम नागरिक को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया है. इसने उन्हें फलती-फूलती अर्थव्यवस्था, आर्थिक गतिविधि और नौकरियों से वंचित किया है.'' मंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार ने फैसला किया है कि कश्मीर घाटी के लोगों और भारत के व्यापक हित में विधि का शासन जम्मू-कश्मीर पर भी समान रूप से लागू होना चाहिए. उन्होंने राज्य में किए गए विकास कार्यों को भी सूचीबद्ध किया.
(इनपुट भाषा से)