महाराष्ट्र चुनाव में निर्वाचन आयोग का सोशल मीडिया संभाल रहा था बीजेपी नेता! खुलासा होने पर कांग्रेस के तीखे तेवर

आरटीआई कार्यकर्ता साकेत गोखले ने ट्विटर पर किया खुलासा, केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र चुनाव आयोग से इस मामले पर जवाब मांगा

महाराष्ट्र चुनाव में निर्वाचन आयोग का सोशल मीडिया संभाल रहा था बीजेपी नेता! खुलासा होने पर कांग्रेस के तीखे तेवर

प्रतीकात्मक तस्वीर

मुंबई:

चुनाव के समय महाराष्ट्र चुनाव आयोग (Maharashtra Election Commission) के सोशल मीडिया (Social Media) प्लेटफार्म की जिम्मेदारी बीजेपी (BJP) के नेता को मिली थी. इस पर कांग्रेस (Cogress) ने सवाल उठाए हैं. केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र चुनाव आयोग से इस पर जवाब मांगा है. महाराष्ट्र चुनाव आयोग के सोशल मीडिया पेज को लेकर तब सवाल उठने लगे जब आरटीआई कार्यकर्ता साकेत गोखले ने ट्विटर पर एक जानकारी पोस्ट की. उसमें उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र की पिछली सरकार में महाराष्ट्र चुनाव आयोग ने अपने सोशल मीडिया को संभालने का ठेका ऐसे व्यक्ति को दिया था जो बीजेपी से जुड़ा हुआ है. वह भारतीय जनता युवा मोर्चा का नेशनल कन्वेनर है. इसे देखते हुए अब पहले से ही विश्वसनीयता का संकट झेल रहे चुनाव आयोग पर और सवाल उठने लगे हैं.

जिस चुनाव आयोग की ज़िम्मेदारी सभी राजनैतिक पार्टियों के प्रचार पर नज़र रखने की होती है, उसी चुनाव आयोग ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म की ज़िम्मेदारी बीजेपी के युवा मोर्चा के एक नेता को दी, जो कि भारतीय जनता युवा मोर्चा के आईटी सेल का संयोजक भी रहा है. यह जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता साकेत गोखले ने एक ट्वीट में दी. साकेत ने बताया कि महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव के समय निर्वाचन आयोग के सोशल मीडिया की ज़िम्मेदारी देवांग दवे की कंपनी के पास थी जो बीजेपी से जुड़े हुए हैं. वे बीजेपी के समर्थन में चलने वाली दूसरी सोशल मीडिया साइटें जैसे I support narendra modi, the fearless indian, social central और navyuvak जैसे पेज भी चलाते हैं.

इस जानकारी के बाद कांग्रेस ने अब चुनाव आयोग पर सवाल उठाए हैं. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने पत्र लिखकर चुनाव आयोग से पूछा है कि आखिर किस प्रक्रिया के तहत बीजेपी से जुड़े शख्स को इसकी जिम्मेदारी दी गई और क्या ऐसा करने का दबाव चुनाव आयोग पर था?

भारतीय जनता युवा मोर्चा के नेशनल कन्वेनर देवांग दवे ने ट्वीट कर सफाई दी है और पूछा है कि क्या किसी पार्टी से जुड़े होने के कारण वे मेहनत से कमाई नहीं कर सकते? साथ ही उसने बताया कि वो कैसे गरीब परिवार से आते हैं और उनके काम की तारीफ भी की गई है.

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इस सबके बीच अब चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के मुख्य चुनाव अधिकारी से जवाब मांगा है. लेकिन सवाल यह उठता है कि जिस आयोग का काम निष्पक्ष रहकर सही तरह से चुनाव करवाना है, क्या उसे किसी राजनैतिक दल से जुड़े व्यक्ति को अपना सोशल मीडिया प्लेटफार्म संभालने देना चाहिए? साथ ही क्या कोई दूसरी एजेंसी इस सोशल मीडिया प्लेटफार्म को नहीं संभाल सकती थी जिसका किसी भी राजनैतिक पार्टी से कोई लेना देना ना हो?