मोदी सरकार लॉकडाउन और कोरोना संकट के मोर्चे पर हर तरह से नाकाम साबित : सोनिया गांधी

22 विपक्षी दलों के नेताओं ने वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के ज़रिए चार घंटे की चर्चा के बाद एक साझा बयान जारी करके सरकार के सामने 11 मांगे रखीं

मोदी सरकार लॉकडाउन और कोरोना संकट के मोर्चे पर हर तरह से नाकाम साबित : सोनिया गांधी

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में विपक्षी दलों के नेताओं की वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए बैठक हुई.

नई दिल्ली:

कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार लॉकडाउन और कोरोना संकट के मोर्चे पर हर तरह से नाकाम साबित हुई है. वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग में सोनिया गांधी ने विपक्षी नेताओं की एक अहम बैठक के दौरान ये बात कही. देश में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों और चिंता के बीच 22 विपक्षी दलों के नेताओं ने वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के ज़रिए चार घंटे की चर्चा के बाद एक साझा बयान जारी करके सरकार के सामने 11 मांगे रख दीं.

विपक्ष ने मांग की है कि इनकम टैक्स के दायरे में न आने वाले परिवारों को महामारी के दौरान हर महीने 7500 रुपये दिए जाएं, 1000 रुपये फ़ौरन दिए जाएं. ज़रूरतमंदों को अगले छह महीने तक हर महीने 10 किलो मुफ्त अनाज दिया जाए. मनरेगा के तहत 200 दिन का काम दिया जाए. सभी प्रवासी मजदूरों की मुफ्त घर वापसी का इंतज़ाम हो और विदेशों में फंसे छात्रों को वापस लाने का इंतज़ाम हो. श्रम कानूनों में सुधार की प्रक्रिया को रोका जाए. खरीफ सीजन में किसानों को हर संभव सहायता दी जाए.

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि- सरकार कोरोना वायरस संकट के दौरान अपनी जिम्मेदारी का निर्वाहन करने में विफल रही है. 

बैठक की अध्यक्षता करते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि लॉकडाउन को लेकर सरकार असमंजस में थी, उसके पास कोई रणनीति नहीं थी. कोविड-19 की टेस्टिंग और टेस्ट किटों के आयात के मुद्दे पर भी सरकार विफल रही. पीएम मोदी का 20 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज देश के लिए मजाक साबित हुआ. प्रवासी मज़दूर इस संकट की पहचान बन गए हैं, उनको राहत देने के बजाय सरकार ने कथित आर्थिक सुधार का ऐलान कर दिया.  

बैठक में राहुल गांधी ने कहा ने कहा कि लॉकडाउन से करोड़ों लोगों को ज़बरदस्त नुकसान हुआ है. अगर आज उनकी मदद नहीं की, उनके खातों में 7500 रुपये नहीं डाले गए, राशन का इंतज़ाम नहीं किया गया तो आर्थिक तबाही हो जाएगी. 

बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मौजूद थीं, लेकिन उनका रुख काफी नरम रहा. एक प्रस्ताव इस दौरान पास किया गया कि साइक्लोन अम्फान को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए. बैठक के बाद एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने ट्वीट कर कहा - लॉकडाउन से ट्रांसपोर्ट सेवाओं पर असर हुआ है. धीरे धीरे रोड ट्रांसपोर्ट को खोलना होगा और सोच समझकर हवाई और रेल सेवाएं फिर से बहाल करने की योजना बनानी होगी. 

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बैठक में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, बसपा अध्यक्ष मायावती और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने हिस्सा नहीं लिया. बसपा के प्रवक्ता मलूक नागर ने कहा- सोनिया, राहुल भूखे मज़दूरों की बात क्यों नहीं करते हैं. अगर कांग्रेस मजदूरों की फ़िक्र करती है तो राजस्थान सरकार यूपी से पैसे क्यों मांग रही है.