भारत में केरल निवासी छात्रा थी कोरोना वायरस का पहला शिकार, ठीक होने के बाद सुनाई 39 दिनों की आपबीती

कोरोना वायरस (Coronavirus) ने पूरी दुनिया में दहशत फैला रखी है. चीन (China) के वुहान शहर (Wuhan) से फैलना शुरू हुआ यह वायरस अब तक 3000 से ज्यादा जानें ले चुका है.

भारत में केरल निवासी छात्रा थी कोरोना वायरस का पहला शिकार, ठीक होने के बाद सुनाई 39 दिनों की आपबीती

39 दिनों तक चले इलाज के बाद छात्रा को डिस्चार्ज कर दिया गया है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

खास बातें

  • कोरोना वायरस से 3000 से ज्यादा की मौत
  • भारत में भी सामने आए इसके पॉजिटिव केस
  • केरल निवासी छात्रा थी इसका पहला शिकार
तिरुवनंतपुरम:

कोरोना वायरस (Coronavirus) ने पूरी दुनिया में दहशत फैला रखी है. चीन (China) के वुहान शहर (Wuhan) से फैलना शुरू हुआ यह वायरस अब तक 3000 से ज्यादा जानें ले चुका है. भारत में भी कई लोग इसकी चपेट में आए. अलग-अलग राज्यों में सैकड़ों लोगों को आइसोलेशन वॉर्ड में रखा गया है. डॉक्टरों की टीम उनकी निगरानी कर रही है. देश में कोरोना वायरस का पहला मामला केरल (Kerala) में सामने आया था. वुहान शहर में पढ़ने वाली 20 वर्षीय छात्रा वहां से भारत लौटी थी. उसकी जांच में वायरस पॉजिटिव पाया गया. उसे करीब 39 दिनों तक वॉर्ड में रखा गया था. अब वह पूरी तरह से स्वस्थ है. अस्पताल से लौटने के बाद छात्रा ने इन 39 दिनों के बारे में बताया.

छात्रा ने कहा, '30 जनवरी को मेरे टेस्ट पॉजिटिव पाए गए थे. मैंने अपने सभी उन दोस्तों को फोन किया, जो मेरे साथ यात्रा करके आए थे और उनसे स्वास्थ्य अधिकारियों के पास जाने को कहा. डॉक्टरों और अधिकारी मेरे पास आए और उन्होंने मुझसे सभी जानकारी ली जैसे- मैं किस फ्लाइट से आई थी, मेरी सीट नंबर, जिन लोगों ने मेरे साथ ट्रैवल किया था वगैरह-वगैरह. अलगाव में रहना बिल्कुल भी आसान नहीं था लेकिन डॉक्टर लगातार मेरी जांच कर रहे थे. वो मेरी मानसिक स्थिति का भी ख्याल रख रहे थे.'

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उसने आगे कहा कि वह कोरोना वायरस से लड़ाई के लिए पूरी तरह से मानसिक तौर पर तैयार हो चुकी थी. छात्रा ने कहा, 'मैंने सुना था कि वहां (चीन) लोग इस बीमारी से रिकवर हुए हैं और मैं जानती थी कि मैं शारीरिक तौर पर मजबूत हूं. केरल के स्वास्थ्य मंत्री के.के. शैलजा ने मेरी मां को फोन किया और उनसे बात की. उन्होंने मेरी मां को आश्वस्त किया. आइसोलेशन वॉर्ड में इतने लंबे समय तक रहना आसान नहीं था. घर आने के बाद भी उसे भूलना आसान नहीं है. वहां काउंसलर भी थे जो लगातार मुझे कॉल करते थे और मुझसे बात करते थे. वो मानसिक तौर पर मेरा ख्याल रख रहे थे. इसने मेरी बहुत मदद की.' छात्रा ने डॉक्टरों और काउंसिलिंग टीम का शुक्रिया अदा किया.

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बताते चलें कि 13 जनवरी को वुहान यूनिवर्सिटी को चार हफ्तों के लिए बंद कर दिया गया था. सभी छात्रों को छुट्टी दे दी गई थी. छात्रा ने इस बारे में बताया, 'वहां की सड़कों पर सब सामान्य लग रहा था. 17 जनवरी को लोगों ने मास्क पहनना शुरू कर दिया था और फिर एकदम से हालात खराब हो गए. हमारी छुट्टियां केवल चार हफ्तों की थीं. जून में हमारी छुट्टियां पड़ने वाली थीं और मैंने सोचा था कि हवाई टिकट की कीमत को देखते हुए मैं तब घर जाऊंगी, लेकिन स्थिति खराब होने के बाद मुझे 23 जनवरी का टिकट बुक करना पड़ा. हम कनिंग से कोलकाता आए थे क्योंकि वायरस की वजह से रूट्स में बदलाव किया गया था. 22 जनवरी को हमारे सीनियर्स ने बताया कि एयरपोर्ट बंद कर दिए गए हैं. इसलिए हमने कनिंग से फ्लाइट ली. देरी टालने के लिए हमने वहां ट्रेन में सफर किया.'

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उसने आगे कहा, 'चीन में हर पॉइंट पर चेकिंग हो रही थी. यूनिवर्सिटी से निकलते समय हमारे शरीर के तापमान तक की जांच की गई. एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन पर भी जांच की गई. भारतीय दूतावास से हमारे पास फोन किया गया कि भारत लौटते ही हम लोग नजदीकी स्वास्थ्य अधिकारियों के संपर्क में रहें. 25 जनवरी को लौटते ही मैंने ऐसा ही किया. अधिकारी हमें लगातार फोन कर रहे थे और सब कुछ सामान्य लग रहा था. 27 जनवरी को मुझे गले में खराश महसूस हुई. मैंने फौरन उन्हें बताया. उन्होंने मेरे लिए एंबुलेंस भेजी और मुझे अस्पताल में भर्ती करवाया. मेरी मां मेरे साथ थीं. आइसोलेशन रूम में भर्ती के बाद मेरे सैंपल लिए गए. चार अन्य लोगों के भी सैंपल लिए गए. उनके सैंपल नेगेटिव थे लेकिन मुझे कुछ नहीं बताया गया. 30 जनवरी को मुझे थोड़ा संदेह हुआ. उसी दिन मुझे पता चला कि मेरे टेस्ट पॉजिटिव पाए गए हैं. डॉक्टरों और नर्सेज की एक टीम मुझसे मिली. उन्होंने मुझसे हर चीज के बारे में पूछा.'

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छात्रा ने बताया कि उसका लगातार बेहतरी से इलाज किया गया और वह पूरी तरह स्वस्थ हो गई. फिलहाल उसे नहीं मालूम कि वह अब यूनिवर्सिटी कब लौटेगी. छात्रा ने कहा, 'हमारी क्लास में 65 स्टूडेंट्स हैं, जिनमें से 45 भारतीय हैं. हम सभी ऑनलाइन क्लास ले रहे हैं. हम तभी वहां जाएंगे जब आधिकारिक तौर पर इसकी घोषणा की जाएगी.'

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