WHO ने मानी गलती, 'भारत में नहीं हो रहा कोरोनावायरस का कम्युनिटी ट्रांसमिशन...'

केंद्र सरकार ने सख्ती से इस बात से इंकार किया कि भारत में यह रोग तीसरे स्टेज, यानी कम्युनिटी ट्रांसमिशन के स्तर पर पहुंच चुका है.

WHO ने मानी गलती, 'भारत में नहीं हो रहा कोरोनावायरस का कम्युनिटी ट्रांसमिशन...'

भारत में फिलहाल (शुक्रवार सुबह तक) 6,412 पुष्ट मामले हैं, जिनमें से 199 की मौत हो चुकी है.

नई दिल्ली:

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अपनी 'सिचुएशन रिपोर्ट' में भारत में कोरोनावायरस के फैलाव की स्थिति को 'कम्युनिटी ट्रांसमिशन' बताने को लेकर सफाई दी है. NDTV से बातचीत में WHO ने कबूल किया कि रिपोर्ट में गलती हुई, जिसे अब ठीक कर दिया गया है, और भारत में 'क्लस्टर ऑफ केसेज़' (ढेरों मामले) है, लेकिन 'कम्युनिटी ट्रांसमिशन' नहीं हो रहा है.

दुनियाभर में 16 लाख से ज़्यादा लोगों को चपेट में ले चुके और 95,000 से ज़्यादा जानें लील चुके रोग COVID-19 के केसों के सिलसिले में जारी की गई रिपोर्ट में चीन के कॉलम में 'क्लस्टर ऑफ केसेज़' लिखा गया था, जबकि भारत के कॉलम में बीमारी के फैलाव के स्तर को 'कम्युनिटी ट्रांसमिशन' बताया गया था.

केंद्र सरकार ने सख्ती से इस बात से इंकार किया कि भारत में यह रोग तीसरे स्टेज, यानी कम्युनिटी ट्रांसमिशन के स्तर पर पहुंच चुका है. कम्युनिटी ट्रांसमिशन उस स्थिति को कहा जाता है, जब कोरोनावायरस के मामले बढ़ते चले जाएं और संक्रमण के स्रोत को तलाशना मुश्किल हो जाए. भारत में फिलहाल (शुक्रवार सुबह तक) 6,412 पुष्ट मामले हैं, जिनमें से 199 की मौत हो चुकी है.

WHO के अनुसार, बीमारी के फैलाव के स्तर - कोई पुष्ट मामले नहीं, छिटपुट मामले, क्लस्टर ऑफ केसेज़ तथा कम्युनिटी ट्रांसमिशन - की जानकारी सदस्य देशों द्वारा खुद दी जाती है. चीन में पहली बार 'अज्ञात कारण से हुए न्यूमोनिया' के पहले मामले को WHO द्वारा अधिसूचित किए जाने के बाद इस रोग ने कुछ ही समय में लगभग समूची दुनिया को चपेट में ले लिया था, और शुक्रवार को COVID-19 का पहला मामला अधिसूचित किए जाने के 100 दिन पूरे हो गए हैं.

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