कोरोना के गंभीर मरीजों पर Remdesivir और Tocilizumab कारगर लेकिन कमी से जूझ रहे छोटे अस्‍पताल..

कोविड-19 से जिंदगियां बचाने के लिए कारगर मानी जा रही इन दवाओं की उपलब्धता से जहां बड़़े सरकारी अस्पतालों में जीवन बचाने में मदद मिल रही है,वहीं क़रीब 40% मौतों के लिए ज़िम्मेदार बताए जा रहे प्राइवेट अस्पतालों में ख़ासकर छोटे अस्पताल अब भी इन दवाओं की कमी है.

कोरोना के गंभीर मरीजों पर Remdesivir और Tocilizumab कारगर लेकिन कमी से जूझ रहे छोटे अस्‍पताल..

मुंबई के छोटे निजी अस्‍पताल Remdesivir, Tocilizumab की कमी झेल रहे हैं (प्रतीकात्‍मक फोटो)

खास बातें

  • 90% गंभीर मरीजों पर इन दवाओं ने अच्‍छा असर दिखाया
  • नायर अस्‍पताल में 300 गंभीर मरीजों का चल रहा अस्‍पताल
  • छोटे अस्‍पतालों में ये उपलब्‍ध नहीं, यहां-वहां भटक रहे पेशेंट के परिजन
मुंंबई:

Coronavirus Pandemic: मुंबई में एक सरकारी कोविड अस्पताल का दावा है कि उनके यहां क़रीब 90% गंभीर मरीज़ों पर टोसिलिज़ुमाब (Remdesivir) और रेमेडिसविर (Remdesivir) दवा ने अच्छा असर दिखाया है, लेकिन छोटे अस्पताल अब भी शहर में कोरोना के इलाज के लिए इन ज़रूरी दवाइयों की कमी झेल रहे हैं. वो भी ऐसे वक्त में जब क़रीब-क़रीब हर दिन 50 साल से ऊपर उम्र वाले 20 से ज़्यादा मरीज़ों की मौत हो रही है.मुंबई के बड़े सरकारी कोविड अस्पतालों में शामिल नायर अस्पताल में अब भी क़रीब 300 गंभीर मरीज़ों का इलाज चल रहा है. अस्पताल के डीन डॉ रमेश भरमाल बताते हैं, 'यहां भर्ती हुए गंभीर मरीज़ों में से 90% मरीज़ों पर टोसिलिज़ुमाब और रेमेडिसविर जैसी ऐंटीवायरल दवाइयों ने अच्‍छा काम किया.उन्‍होंने कहा, 'हमने क़रीब 500 मरीजों पर टोसिलिज़ुमाब और रेमेडिसविर का इस्तेमाल किया, उनमें से 90% पर बहुत अच्छे रिज़ल्ट दिख रहे हैं.

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कोविड-19 से जिंदगियां बचाने के लिए कारगर मानी जा रही इन दवाओं की उपलब्धता से जहां बड़़े सरकारी अस्पतालों में जीवन बचाने में मदद मिल रही है,वहीं क़रीब 40% मौतों के लिए ज़िम्मेदार बताए जा रहे प्राइवेट अस्पतालों में ख़ासकर छोटे अस्पताल अब भी इन दवाओं की कमी है. 

डॉ अमय पाटिल ने बताया कि रेमडेसिवीर वायरल रेपलिकेशन कम करता है. हम टोसिलिज़ूमैब एकदम क्रिटिकल पेशेंट को देते हैं, ऐसे वक्‍त जब इस देना बहुत जरूरी होता है. उन्‍होंने कहा कि कोविड के बाद इनका मैन्‍युफेक्‍चर शुरू हुआ, पहले इतना इस्तेमाल में नहीं था. जितनी डिमांड है, उससे कई गुना कम सप्लाई है. उनके अनुसार, मुंबई में इनकी काफी कमी है. पेशेंट के एडमिट होते ही हम बताते हैं कि उनको ये दोनों इंजेक्शन चाहिए, लेकिन कई बार कहीं नहीं मिलते.ये इंजेक्शन मेडिकल स्टोर में नहीं, बल्कि डिस्‍ट्रीब्‍यूटर्स से सीधे खरीदे जाते हैं लेकिन मुंबई के एक बड़े फार्मास्युटिकल डिस्ट्रीब्यूटर के पास भी इसका स्टॉक ख़त्म दिखा. 26 अगस्त तक का आंकड़ा  देखें तो मुंबई में हुई कुल 7502 मौतों में 6244 मौतें 50 साल से ऊपर मरीज़ों की हुईं हैं, यानी की 83% मौतें! बुजुर्गों के लिए कई हेल्थ कैंपेन मुंबई में चल रहे हैं लेकिन इन दवाओं की ज़्यादा मात्रा में उपलब्धता की मांग अब भी पूरी नहीं हुई है.

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