आईएस के खिलाफ संयुक्त लड़ाई में देशों के हितों का टकराव बना बाधक

आईएस के खिलाफ संयुक्त लड़ाई में देशों के हितों का टकराव बना बाधक

इस्लामिक इस्टेट के आतंकी (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

पेरिस में बड़े आतंकी हमले के बाद अब फ्रांस आईएस के खिलाफ जवाबी सैन्य कार्रवाई को अंजाम देने में जुटा है। आईएस के गढ़ रक्का पर दूसरे दिन भी फ्रांस के विमानों ने बम गिराए। पेरिस हमले के बाद सीरिया का संकट दुनिया के सामने सबसे बड़ा संकट बन गया है। सभी देश इससे निबटने की बात कर रहे हैं लेकिन अपने-अपने हितों का टकराव उनको रोक रहा है।

रूस ने दिया फ्रांस को हौसला
फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसवा ओलांद ने अपनी संसद में कहा कि फ्रांस ने आतंकियों के खिलाफ जंग का एलान कर दिया है। इस मोर्चे पर अमेरिका-रूस को भी साथ आना चाहिए और वे अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और रूसी राष्ट्रपति पुतिन से मिलकर यह अपील करेंगे। मंगलवार को रूस ने भी सीरिया के रक्का पर ही हवाई हमला किया। अब तक अकेले इस मोर्चे पर उलझे हुए रूस को फ्रांस ने, जाहिर है, नया हौसला दिया है।  

पुतिन ने चौंकाया
उधर टर्की में जी-20 की बैठक के दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यह कहकर सबकौ चौंका दिया कि आतंकी संगठन आईएस को जी-20 के देश भी मदद करते हैं। रूसी राष्ट्रपति ने साफ कहा कि 40 देश आईएस को पैसे दे रहे हैं और इनमें जी-20 के कुछ देश भी शामिल हैं। पुतिन आईएस का तेल का गैरकानूनी धंधा तुरंत बंद करना चाहते हैं। पुतिन ने कहा  कि अब IS के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने की जरूरत है और इसमें अमेरिका, यूरोप, सऊदी अरब, टर्की और ईरान अहम हो सकते हैं। उन्होंने याद दिलाया कि अमेरिका ने सहयोग का उनका प्रस्ताव पहले ही ठुकरा दिया है।

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सीरिया चाहता है भारत की मदद
इन सबके बीच संकट से घिरे सीरिया के राजदूत ने भारत से मदद की अपील की है। NDTV को दिए गए एक इंटरव्यू में राजदूत रियाद अब्बास ने कहा कि सीरिया मसले पर भारत की राय का वे सम्मान करते हैं। आगे अगर भारत ने आईएस के खिलाफ सीरियाई और रूसी सैन्य अभियान का सक्रियता से समर्थन किया तो वे उसका स्वागत करेंगे।

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