यह ख़बर 23 जून, 2011 को प्रकाशित हुई थी

तीन साल से अधिक लंबित नहीं रहेगा केस!

खास बातें

  • सरकार ने जल्द न्याय दिलाने के लिए न्याय प्रदान एवं कानून सुधार राष्ट्रीय मिशन लागू करने को मंजूरी दे दी।
New Delhi:

देश की अदालातों में लंबित लगभग ढाई करोड़ मामालों की समस्या से निपटने के प्रयास में सरकार ने जल्द न्याय दिलाने के लिए न्याय प्रदान एवं कानून सुधार राष्ट्रीय मिशन लागू करने को बृहस्पतिवार को मंजूरी दे दी। इसका लक्ष्य यह होगा कि 2015 तक मामलों के लंबित रहने का औसत समय वर्तमान 15 वर्ष से घट कर तीन साल रह जाए। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में कानून मंत्रालय के इस प्रस्ताव को स्वीकार किया गया। बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने संवाददाताओं को बताया कि मिशन का उद्देश्य न्याय में विलंब को कम करना और ढांचागत परिवर्तन तथा कार्य निष्पादन के मानदंड स्थापित करके इस बारे में जवाबदेही को और बढ़ाना है। इस पर अगले पांच साल में 5510 करोड़ रुपयों का खर्च आएगा। इसमें से 75 प्रतिशत का वहन केन्द्र करेगा और शेष का संबंधित राज्य। पूर्वोत्तर राज्यों के मामलों में केन्द्र 90 प्रतिशत खर्च उठाएगा। इस बारे में जारी बयान में दावा किया गया कि जल्द न्याय मुहैया कराने के इस मिशन के तहत प्रयास यह होगा कि 2015 तक अदालतों में मामलों के लंबित रहने की अवधि को 15 से घटा का तीन साल तक कर दिया जाए। पहले यह समय सीमा 2012 तय की गई थी। यह मिशन आज से लागू हो जाएगा, हालांकि कैबिनेट दिसंबर 2009 में इसे सिद्धांतत: मंजूरी दे चुका है।


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