यह ख़बर 24 जुलाई, 2011 को प्रकाशित हुई थी

हिंसक पति दया का हकदार नहीं : अदालत

खास बातें

  • अदालत ने यह अवलोकन करते हुए मामूली सी बात को लेकर अपनी पत्नी पर त्रिशूल से हमला करने वाले पति को तीन साल कैद की सजा सुनाई।
New Delhi:

दिल्ली की एक अदालत ने कहा है कि सभ्य समाज में पत्नी के साथ मारपीट की कोई जगह नहीं है और हिंसक पति दया के बिल्कुल भी हकदार नहीं हैं। अदालत ने यह अवलोकन करते हुए मामूली सी बात को लेकर झगड़े में अपनी पत्नी पर त्रिशूल से हमला करने वाले पति को तीन साल के कारावास की सजा सुनाई। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी लाउ ने इस मामले में दोषी करार रविंदर को सजा सुनाते हुए कहा कि पत्नी को पीटना अब निजी मामला नहीं है, क्योंकि भारत में इस पर कानूनी रूप से प्रतिबंध है, इसलिए इसे सही नहीं ठहराया जा सकता और पत्नी पर हमला करने वाले को समाज के सामने लाना चाहिए। न्यायाधीश ने दोषी पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया और कहा कि इस राशि को उसकी पत्नी संध्या को दिया जाएगा। न्यायाधीश ने कहा, यह संदेश स्पष्ट और ऊंची आवाज में देने की जरूरत है कि सभ्य समाज में पत्नी के साथ मारपीट की कोई जगह नहीं है और हिंसा करने वाले पति दया के हकदार नहीं हैं। अभियोजन पक्ष के अनुसार, पति रविंदर के साथ रिश्तों में दरार आने के बाद संध्या दो बच्चों के साथ अपने माता-पिता के घर पर रहती थी। उन्होंने कहा कि 2 दिसंबर, 2005 को जब संध्या उत्तम नगर स्थित अपने पति के घर कुछ दस्तावेज लेने गई, तो रविंदर, उसकी मां कृष्णा और बहन रीता ने उसके चेहरे और शरीर पर त्रिशूल से प्रहार करके उसे घायल कर दिया। अदालत का कहना है कि पीड़ित महिला के साथ जो कुछ हुआ वह केवल घरेलू हिंसा नहीं, बल्कि उत्पीड़न का आपराधिक मामला तथा अधिकारों का उल्लंघन है।


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