छत्तीसगढ़ : 28 साल बाद मिली 600 रुपये रिश्वत लेने की सज़ा

प्रतीकात्मक तस्वीर

रायपुर:

एक किसान को जमीन का पट्टा देने के एवज में उससे 600 रुपये की रिश्वत लेने वाले राजस्व निरीक्षक को 28 साल बाद अब सजा काटनी पड़ेगी।

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के न्यायाधीश सीबी वाजपेयी ने निचली अदालत के फैसले को सही ठहराते हुए बचाव पक्ष की अपील खारिज कर दी है।

राजस्व निरीक्षक पवन कुमार चंद्राकर को सरायपाली बसना क्षेत्र के गांवों में बंदोबस्त के तहत किसानों को पट्टा देने का काम सौंपा गया था। भाटीदरहा गांव के एक किसान को जमीन का पट्टा देते समय चंद्राकर का ईमान डोल गया। उसने किसान से 600 रुपये मांग लिए।

28 साल पहले लिए नोटों ने चंद्राकर की इज्जत उतार ली है। वह अब तक जमानत के सहारे समाज में बाइज्जत रह रहा था। 27 नवंबर, 1997 को रायपुर लोकायुक्त से रिश्वतखोरी के इस मामले की शिकायत की गई थी।

राजस्व निरीक्षक चंद्राकर को रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में 15 जनवरी 1999 को निचली अदालत के विशेष न्यायाधीश ने आईपीसी की धारा 161 के तहत एक साल की जेल और एक हजार रुपये का जुर्माना, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 5(1)(डी) और 5(2) के तहत एक साल की जेल और एक हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी।

तब कहा गया था कि जुर्माने की रकम अदा नहीं करने पर उसे तीन माह अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। चंद्राकर ने निचली अदालत के इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने जमानत दे दी थी।

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अब मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश सीबी वाजपेयी ने चंद्राकर की अपील खारिज करके निचली अदालत के फैसले को सही ठहराया है। फिलहाल आरोपी जमानत पर है, उसे तत्काल निचली अदालत में समर्पण करने का आदेश दिया गया है।