खास बातें
- कोर्ट ने कहा कि अगर कोई शिकायतकर्ता चाहता है कि उसके मामले की रिपोर्टिंग फिलहाल नहीं की जाए, तो वह हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में मीडिया कवरेज को स्थगित करने के लिए 'पोस्टपोनमेन्ट एप्लिकेशन' दायर कर सकता है।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मीडिया के लिए कोई एक मुकम्मल गाइडलाइन नहीं हो सकती। कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि अगर कोई शिकायतकर्ता चाहता है कि उसके मामले की रिपोर्टिंग फिलहाल नहीं की जाए, तो वह हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में मीडिया कवरेज को स्थगित करने के लिए 'पोस्टपोनमेन्ट एप्लिकेशन' दायर कर सकता है, और यह तय करना सिर्फ कोर्ट का अधिकार होगा कि मामला वास्तव में स्थगन के लायक है या नहीं।
कोर्ट और क्राइम रिपोर्टिंग पर अपने एक आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि अनुच्छेद 19-1 ए (बोलने एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) पूर्ण अधिकार नहीं है, और इसके कुछ दायरे हैं। कोर्ट ने पत्रकारों को भी हिदायत दी कि उन्हें अपनी 'लक्ष्मणरेखा' पता होनी चाहिए, ताकि कोर्ट की अवमानना के मामले न झेलने पड़ें। कोर्ट के मुताबिक मीडिया गाइडलाइन फ्रेम का उद्देश्य पीड़ित पक्ष को यह आश्वासन देना है कि मामले में गलत रिपोर्टिंग नहीं हो।