मुंबई : बुजुर्गों के लिए बदला होम आइसोलेशन नियम, 50 वर्ष से ऊपर के मरीजों के लिए नए दिशा निर्देश

मुंबई की कुल मौतों में 83% मौतें 50 से ऊपर उम्र के मरीज़ों की हुई हैं. इतनी ज्यादा डेथ रेट देखते हुए जगह-जगह स्क्रीनिंग कैम्प लगा कर बुजुर्गों की आरटीपीसीआर टेस्टिंग हो रही है.

मुंबई : बुजुर्गों के लिए बदला होम आइसोलेशन नियम,  50 वर्ष से ऊपर के मरीजों के लिए नए दिशा निर्देश

प्रतीकात्मक तस्वीर

मुंबई की कुल मौतों में 83% मौतें 50 से ऊपर उम्र के मरीज़ों की हुई हैं. इतनी ज्यादा डेथ रेट देखते हुए जगह-जगह स्क्रीनिंग कैम्प लगा कर बुजुर्गों की आरटीपीसीआर टेस्टिंग हो रही है. 50 से ऊपर के कोई भी मरीज़ हों, हल्के या कम लक्षण वाले अब उन्हें भी कोविड केयर सेंटर में जाना पड़ेगा. कुछ सवाल भी उठा रहे हैं.

डिप्टी म्यूनिसिपल कमिश्नर विश्वास शंकरवर ने कहा, ''मृत्यु दर में कमी लाने के लिए कोविड टेस्ट बढ़ाया गया है ताकि अरली डिटेक्शन (जल्द पहचान मिल सके) हो और जल्दी हॉस्पिटल में भेजें. इन स्क्रीनिंग कैम्प में जिनकी उम्र पचास से ज़्यादा है और को मोर्बिड हैं, यानी जिन्हें ब्लड प्रेशर, हाइपरटेंशन, शुगर की बीमारी है उनकी आरटीपीसीआर टेस्ट की जा रही है. पचास से कम की ऐंटीजेन टेस्टिंग कर रहे हैं.''

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इस नए सरक्यूलर के अनुसार 50 साल से अधिक उम्र के सभी कोविड-19 रोगियों को कोविड केयर सेंटर में रखा जाएगा, चाहे उन्हें बीमारी के लक्षण हों या नहीं. इस उम्र के मरीज़ों के लिए घर पर आइसोलेट किए जाने की गाइडलाइन को बदल दिया गया है.

माधुरी के 61 साल के पिता और गौसिया शेख़ की 60 साल की मां सरकारी कोविड केयर सेंटर में भर्ती हैं. अपनी आर्थिक और घरेलू स्थिति देखते हुए ये नए दिशा निर्देश को सही मानती हैं. मरीज़ की परिजन गौसिया शेख का कहना है कि घर में नहीं रख सकते ना, बच्चे भी छोटे हैं, इसलिए मना किया था कि इधर ही रखो. प्राइवेट हमलोग अफोर्ड नहीं कर सकते.

वहीं, एक और मरीज़ की परिजन माधुरी ने कहा, ''डर लगता है उनकी उम्र ज़्यादा है. उनको ऑक्सिजन की दिक्कत हो सकती है इसलिए घर पर क्वारंटीन नहीं किया, सरकारी फैसिलिटी में भेजा. घर पर छोटे बच्चे हैं, उनको भी सम्भालो. उधर भी अच्छा ट्रीटमेंट मिल रहा है.''

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हालांकि एसोसिएशन ऑफ मेडिकल कंसलटंट्स के प्रेसिडेंट डॉ. दीपक बैद बताते हैं कि पहले से घबराया हुआ हमारा बुजुर्ग वर्ग और ज़्यादा घबरा कर टेस्टिंग से परहेज़ कर सकता है. डॉ. दीपक बैद ने कहा, ''ग्राउंड लेवल पर हमको दिक्कत यह हो रही है कि मरीज़ स्लम से ना आकर, सोसायटी से, अमीर लोग ज़्यादा आ रहे हैं. जो अमीर हों, बड़े घर हों, पहले यह था कि घर पर एडमिट हो सकते हैं. इस नोटिफिकेशन से अमीर को भर्ती होना पड़ेगा तो डॉक्टर को अब यह दिक्कत होगी कि मरीज एडमिट होने से डरेंगे, टेस्टिंग से भी डरेंगे. अभी ऑलरेडी लोग टेस्टिंग से बचते हैं. हमारे बोलने पर भी नहीं मानते.''

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मुंबई की कुल 7,311 मौतों में 6,071 मौतें 50 साल से ऊपर की मरीज़ों की बतायी जा रही है. शहर की रिकवरी रेट जहां 80% है वहीं डब्लिंग रेट है 89 दिन जो सुकून पहुंचाता है पर पिछले काफ़ी समय से लगभग हर दिन तीस से ज़्यादा बुजुर्गों की मौतें बड़ी चिंता का विषय हैं.