पुलवामा आतंकी हमले से कुछ समय पहले ही CRPF अधिकारी ने 'प्रशिक्षण में खामियों' को लेकर किया था आगाह

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले से लगभग महीने भर पहले ही सीआरपीएफ के एक सीनियर अधिकारी ने एंटी-टेरर ट्रेनिंग में कुछ खामियों को लेकर आगाह किया था.

पुलवामा आतंकी हमले से कुछ समय पहले ही CRPF अधिकारी ने 'प्रशिक्षण में खामियों' को लेकर किया था आगाह

सीआरपीएफ के जवानों पर पुलवामा में हुआ था आतंकी हमला.

खास बातें

  • पुलवामा आतंकी हमले से पहले अधिकारी ने मुख्यालय को लिखे थे पत्र.
  • पुलवामा आतंकी हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे.
  • जवानों की ट्रेनिंग में गैप को लेकर थे यह खत.
नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले से लगभग महीने भर पहले ही सीआरपीएफ के एक सीनियर अधिकारी ने एंटी-टेरर ट्रेनिंग में कुछ खामियों को लेकर आगाह किया था. काउंटर इंसर्जेंसी एंड एंटी-टेरर स्कूल के प्रमुख रजनीश राय ने सीआरपीएफ की ट्रेनिंग में कुछ सुविधाओं और खामियों को लेकर मुख्यालय को पहले ही कई पत्र लिखे थे. दरअसल, पुलवामा आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे. 'काउंटर इंसर्जेंसी एंड एंटी-टेरर संस्थान' के प्रमुख सीआरपीएफ के आईजी रजनीश राय ने अपने मुख्यालय को एक पत्र लिखा था, जिसमें दो टूक में कहा था कि आंध्र प्रदेश के चितूर में स्थित उनका संस्थान अपने उद्देश्यों को पूरा नहीं कर सकता है. 

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रजनीश राय के मुताबिक, संस्थान का पाठ्यक्रम स्पष्ट नहीं है. इतना ही नहीं, यहां पर्याप्त ट्रेनर्स भी नहीं हैं और न ही पर्याप्त इन्फ्रास्ट्रक्चर ही हैं. आईडी रजनीश राय द्वारा लिखे गए कई पत्रों में एस एक में उन्होंने कहा था कि चित्तूर में स्थि सीआईएटी (काउंटर इंसर्जेंसी एंड एंटी-टेरर) स्कूल में पिछले कुछ वर्षों में बिना किसी सार्थक प्रशिक्षण कार्यक्रम को लागू किए हुए खर्च यह दर्शाता है कि सार्वजनिक फंड का सही से इस्तेमाल नहीं किया गया. 

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राय के अनुसार, "किसी भी बेहतर परिणाम के बिना सार्वजनिक खर्च से प्रशासनिक जड़ता की गंभीर स्थिति उत्पन्न होती है और सरकारी खजाने को भारी नुकसान होता है क्योंकि इसका कोई आउटकम निकलकर नहीं आता. आगे उन्होंने कहा कि चित्तूर स्थित CIAT स्कूल में मई 2017 से अब तक कोई प्रशिक्षण कार्यक्रम नहीं किया जा रहा है.

राय का मानना था, उनकी कमान के तहत पुरुषों और महिलाओं को निराश किया जा रहा था. कर्मियों को लगने लगता है कि वे संगठन की परिधि में बसे हुए हैं, और एक बार जब वे इस तरह की भावना को आत्मसात कर लेते हैं, तो उनका मनोबल ठीक होना बहुत मुश्किल है.

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इन आरोपों का जवाब देते हुए CRPF के एक अधिकारी ने NDTV से कहा कि 'हमारे पास लगभग 35 से अधिक प्रशिक्षण स्कूल हैं. इस संस्थान को अंबिकापुर से चित्तूर शिफ्ट कर दिया गया था. वहां 175 एकड़ जमीन थी. रात भर में 175 एकड़ की सुविधा विकसित नहीं की जा सकती है. एक प्रशिक्षण स्कूल के प्रमुख के रूप में आपको जो दिया गया, उसी में आपको उसका बेहतर इस्तेमाल करना होता है और आपको अपेक्षित प्रशिक्षण प्रदान करना होता है. आपको अपना काम आगे बढ़ाना होता है.'

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दरअसल, चितूर में सीआरपीएफ प्रशिक्षण की सुविधा दो साल पहले शुरू की गई थी, जिसके बावजूद सुविधा के लिए बुनियादी ढांचा अभी भी पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ है. पिछले साल सितंबर में राय ने लिखा था, ''वर्तमान में हम पानी की भारी कमी का सामना कर रहे हैं और सीआईएटी स्कूल में तैनात लगभग 100 अधिकारियों/ पुरुषों के लिए पानी की आवश्यकता केवल एक बोरवेल से पूरी की जा रही है.' दो महीने बाद में उन्होंने लिखा, "भले ही हमें सबमर्सिबल पंपों की को लगाने अथवा एक नए बोरवेल के निर्माण को लेकर प्रशिक्षण निदेशालय से कुछ सकारात्मक दिशा-निर्देश मिले हों मगर इसकी संभावना नहीं है कि हम इस काम को समय पर पूरा कर पाएंगे.'

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