दल खालसा ने संयुक्त राष्ट्र में मोदी शासन में स्वतंत्रता के सिकुड़ने का मुद्दा उठाया

दल खालसा ने संयुक्त राष्ट्र में मोदी शासन में स्वतंत्रता के सिकुड़ने का मुद्दा उठाया

दल खालसा कट्टरपंती संगठन रहा है.

खास बातें

  • दल खालसा के विदेशी प्रतिनिधिमंडल ने संयुक्त राष्ट्र में मुद्दा उठाया
  • पंजाब में असंतोष एवं एवं अभिव्यक्ति की आजादी सिकुड़ी
  • 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से हालात ऐसे हुए
चंडीगढ़:

कट्टरपंथी सिख संगठन दल खालसा के विदेशी प्रतिनिधिमंडल ने संयुक्त राष्ट्र में भारत में 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से पंजाब में असंतोष एवं एवं अभिव्यक्ति की आजादी की जगह कथित रूप से सिकुड़ जाने का मुद्दा उठाया है. दल खालसा के प्रवक्ता कंवर पाल ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल कल जीनेवा में एशिया प्रशांत क्षेत्र के मानवाधिकार अधिकारी क्रिश्चियन चुंग से मिला था.

कंवर पाल ने कहा, ‘‘इस भेंट का उद्देश्य उस परिप्रेक्ष्य की व्यापक समझ प्रदान करने के लिए संयुक्त राष्ट्र को अपने इतिहास एवं धरोहर के बारे में बताना था जिसमें हम उनके सामने अपनी वर्तमान मांग रखते हैं. हमने पंजाब और उसकी जनता के भविष्य से जुड़े विवादास्पद मुद्दों को प्रखरता से रखा.’’

उन्होंने बताया कि प्रतिनिधिमंडल ने इस विश्व निकाय को बताया कि 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से असंतोष और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए जगह सिकुड़ गयी है और नफरत फैलाना एवं युद्धोन्माद पैदा करना चलन हो गया है.

दल खालसा के ब्रिटिश एवं स्विस निकाय के प्रमुखों मनमोहन सिंह खालसा और प्रीतपाल सिंह द्वारा सौंपे गये ज्ञापन में भारत सरकार पर सिखों के अधिकारों को कुचलने, उन्हें बदनाम करने, उनके धार्मिक मामलों में दखल देने, पानी जैसे हमारे प्राकृतिक संसाधनों को कानूनी एवं गैर-कानूनी ढंग से लूटने, हिरासत में लेकर एवं पुलिस का भय दिखाकर असंतोष की आवाज कुचलने का आरोप लगाया गया है.
(भाषा की रिपोर्ट पर आधारित)


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