'खुशबू गुजरात की' कैम्पेन के जवाब में 'बदबू गुजरात की', अमिताभ बच्चन को भेजे जा रहे पत्र

'खुशबू गुजरात की' कैम्पेन के जवाब में 'बदबू गुजरात की', अमिताभ बच्चन को भेजे जा रहे पत्र

प्रतीकात्मक फोटो

खास बातें

  • तीन माह से नहीं उठाए जा रहे मृत पशु
  • मुद्दे पर अमिताभ बच्चन चुप, कहा यह राजनीतिक मुद्दा
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल से गुजरात दौरे पर
अहमदाबाद:

गुजरात में कई स्थानों से दलित अमिताभ बच्चन को पोस्ट कार्ड भेज रहे हैं. विरोध के नए तरीके के तौर पर वे सुपर स्टार अमिताभ बच्चन को पोस्टकार्ड लिखकर अपना फैसला बता रहे हैं कि उन्होंने अब राज्य में मृत पशु उठाना बंद कर दिया है. ऊना में हुए दलित अत्याचार के बाद उठ रहे विरोध में अब तक ऐसे करीब 2000 पोस्ट कार्ड बच्चन को लिखे जा चुके हैं.

दलित कहते हैं कि वे सुपर स्टार का ध्यान इस घटना की ओर लाना चाहते हैं, आखिर वे गुजरात टूरिज्म के ब्रांड एम्बेसडर हैं. अमिताभ बच्चन ने गुजरात टूरिज्म के लिए 'खुशबू गुजरात की' कैम्पेन किया था. दलित कहते हैं कि वे उन्हें अब 'बदबू गुजरात की' भी दिखाना चाहते हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के दो दिन के दौरे पर शुक्रवार की रात में आ रहे हैं. दलित राज्य सरकार पर अपनी मांगों को लेकर दबाव बनाने की भरसक कोशिश कर रहे हैं. तीन माह से कई इलाकों में दलितों ने मृत पशु उठाना बंद कर दिया है. ग्रामीण इलाकों में मृत पड़े पशुओं के दृश्य देखे जा सकते हैं.

दलित नेता जिग्नेश मेवाणी का कहना है कि मोदीजी के कहने पर अमिताभ बच्चन गुजरात की एक ही तरह की छवि सामने लाए. हकीकत यह भी है कि गुजरात में आज भी दलित गटर में उतरते हैं और हाथ से मैला उठाते हैं. यह छवि मोदीजी छुपाना चाहते हैं. इसीलिए यह तथ्य उजागर करने के लिए वे ये केम्पेन कर रहे हैं.

उधर अमिताभ बच्चन इस मुद्दे पर बोलने से इनकार कर रहे हैं. उनके मुताबिक यह एक राजनैतिक मुद्दा है, इसलिए वे इस पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे.

दलित समुदाय आंदोलन को और उग्र स्वरूप देने की तैयारी में है. अक्तूबर की शुरुआत से ही गुजरात में अलग-अलग स्थानों पर रेल रोको आंदोलन करने की तैयारी है. ऐसे में अमित शाह का जो हाल पाटीदार विरोध के चलते सूरत में हुआ था वैसा कुछ मोदी के दौरे में न हो, इसको लेकर प्रशासन चौकन्ना है.


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