कांवड़ यात्रा का सच : कुछ भक्ति में तो कुछ चरस-गांजे में लीन

कांवड़ यात्रा का काला सच है जिसमें एहसास होता है कि कैसे धर्म के नाम पर ग़ैर क़ानूनी काम किए जा रहे हैं.  

नई दिल्ली:

पूरे उत्तर भारत में इस वक़्त कांवड़ यात्रा की धूम है. खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कांवड़ियों के लिए योगी सरकार ने विशेष इंतजाम किए हैं जहां एक तरफ कांवड़ियों पर हैलिकॉप्टर से फूल बरसाए गए वहीं कई बड़े अधिकारी ख़ुद कावड़ियों के पैर दबाते नज़र आए. एनडीटीवी की टीम ने कांवड़ यात्रा के दौरान दिल्ली से हरिद्वार तक की यात्रा कर माहौल जाना. सबसे पहले मुलाक़ात 60 साल की हीरादेवी से हुई जो पैदल दिल्ली से लगभग 250 किलोमीटर दूर हरिद्वार कांवड़ से गंगा जल लेने गई थीं, पैदल लगभग 400 किलोमीटर यात्रा कर चुकीं हीरादेवी ने हमें बताया कि वो बिना कुछ खाए ही दिन भर पैदल चलती हैं. हीरादेवी ही नहीं ऐसे हज़ारों बुज़ुर्ग हैं जो सैकड़ों सालों से भगवान शिव का अभिषेक करने गोमुख और हरिद्वार से गंगा जल लाते हैं.  कोई नंगे पैर, कोई मोटर साइकिल से तो कोई भारी भरकम डीजे लगाकर ट्रकों पर कांवड़ यात्रा पर निकला है ,कुछ तो ऐसे भी हैं जिनके पैर छिल गए तब भी वो नंगे पैर यात्रा जारी रखे हुए हैं. कांवड़ यात्रा में हर साल श्रद्धालु  गंगाजल से महाशिवरात्री के दिन अपने शहरों में भगवान शिव का अभिषेक करते हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ पिछले साल लगभग 1.5 करोड़ लोग कांवड़ यात्रा पर निकले थे लेकिन इस बार जानकारों की मानें तो ये आंकड़ा 4 करोड़ तक पहुंच गया है. कांवड़ यात्रा के दौरान दिल्ली देहरादून हाइवे NH-58 को 30 जुलाई तक बंद कर दिया गया है. 

...लेकिन कांवड़ यात्रा का काला सच

ये तो कहानी का सिर्फ़ एक हिस्सा है दूसरे हिस्सा कांवड़ यात्रा का काला सच है जिसमें एहसास होता है कि कैसे धर्म के नाम पर ग़ैर क़ानूनी काम किए जा रहे हैं.  यात्रा के दौरान हमारी मुलाक़ात 16 साल के राहुल से हुई(काल्पनिक नाम) है, भगवा कपड़े पहने सतेंद्र (काल्पनिक नाम)  और उसके साथी सरेआम गांजा पी रहे थे. गांजा पीना और रखना ग़ैरक़ानूनी है ये सवाल जब हमने इनसे पूछा तो राहुल ने कहा कि उन्हें पता है कि गांजा अवैध है लेकिन सावन में कोई नहीं रोकता. राहुल हमें उनके पास मौजूद गांजा दिखाते हैं और कहते हैं कि वो गांजा का एक कश मारते हैं तो 10 किलोमीटर मस्ती में आराम से चले जाते हैं. 

मेरठ में हमारी मुलाक़ात गुरुग्राम के कांवड़ियों के एक समूह से हुई जो सरेआम चरस का सेवन कर रहे थे जिसे रखने और पीने पर NDPA एक्ट के अंतर्गत 6 महीने की जेल की सज़ा और 10 हज़ार तक के जुर्माने का प्रावधान है. लेकिन रोहित और उसके साथियों को इसका कोई डर नहीं है.. क्या सुबह, क्या शाम ये कांवड़िए सरेआम आपको गांजा और चरस पीते मिल जाएंगे. इन्हें किसी का डर नहीं क्योंकि जिस पुलिस को इन्हें पकड़ना चाहिए वो इन पर फूल बरसा रही है और तो और शामली ज़िले के एसपी तो एक कांवड़िए के पैर दबाते नज़र आए. कांवड़ियों को यूपी पुलिस ने ट्रैफ़िक नियमों की छूट दे रखी हैं. हेलमेट लगाना तो दूर की बात है एक मोटर साइकिल पर चार-चार लोग सवार होते हैं. पुलिस का काम सिर्फ़ इन्हें रास्ता देना है. मुज़फ़्फरनगर के एक शिविर में तो कांवड़ियों के मनोरंजन के लिए किन्नरों का नाच तक कराया गया.

लेकिन असली रंग तो रात में देखने को मिलते हैं. पूरे नेशनल हाइवे-58 (NH-58) पर हज़ारों कांवड़िए गांजा पीते हुए फूहड़ फ़िल्मी गानों पर नांचते हुए दिख जाएंगे.  आपको ये गाने सुनकर या डांस देख कर लगेगा कि आप किसी डीजे नाइट में आ गए हों. कांवड़ियों ने पूरे दिल्ली हरिद्वार हाईवे को डीजे में तब्दील कर रखा था. पूरी सड़क जाम थी और पुलिस का कोई अता पता नहीं था. रात में सड़क के किनारे सरेआम जगह जगह चिलम सुलगाई जाती है गांजा पिया जाता है लेकिन पुलिस चुपचाप हाथ पर हाथ धरे बैठी रहती है. सवाल यही है  कि धर्म के नाम पर हो रही आराजकता पर प्रशासन का आंखे बंद कर लेना कितना जायज़ है. 

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