निर्भया गैंगरेप केस: जनहित याचिका खारिज कर SC बोला- ये कैसी प्रार्थना? ऐसी याचिका दोबारा न करें दाखिल

याचिका में मांग की गई थी कि कोर्ट निर्भया के दोषियों को दो हफ्ते में फांसी पर लटकाने के लिए केंद्र सरकार को आदेश दे.

निर्भया गैंगरेप केस: जनहित याचिका खारिज कर SC बोला- ये कैसी प्रार्थना? ऐसी याचिका दोबारा न करें दाखिल

जस्टिस मदन बी लोकूर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने याचिका खारिज की है.

खास बातें

  • सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका
  • कहा- दोबारा न दाखिल करें ऐसी याचिका
  • 'ये कैसा अनुरोध है?'
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने साल 2012 के निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड के दोषियों की मौत की सजा पर तत्काल अमल के लिए दायर याचिका गुरुवार को खारिज कर दी. इसमें मांग की गई थी कि कोर्ट निर्भया के दोषियों को दो हफ्ते में फांसी पर लटकाने के लिए केंद्र सरकार को आदेश दे. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए पूछा कि इस याचिका में यह कैसी प्रार्थनाएं है? साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दोबारा ऐसी याचिका दाखिल न करने के लिए कहा है.

इस याचिका में साथ ही यह भी मांग की गई थी कि सुप्रीम कोर्ट एक दिशा निर्देश दे, जिससे रेप और पीड़ित की हत्या जैसे जघन्य अपराध को करने वालों को निचली अदालत द्वारा दोषी पाए जाने के 8 महीने के भीतर फांसी पर लटकाया जाए. इसके साथ ही याचिका में मांग की गई थी कि रेप और पीड़ित की हत्या जैसे मामले में फास्ट ट्रैक सुनवाई होनी चाहिए. यह याचिका वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने दाखिल की थी.

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जस्टिस मदन बी लोकूर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने जनहित याचिका खारिज करते हुए कहा, ‘यह किस तरह का अनुरोध आप कर रहे हैं? आप न्यायालय को हास्यास्पद बना रहे हैं।'

बता दें, दक्षिण दिल्ली में 16-17 दिसंबर, 2012 की रात एक चलती बस में छह व्यक्तियों ने 23 वर्षीय छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार किया और गंभीर रूप से घायल कर उसे बस से बाहर, सड़क पर फेंक दिया था. इस छात्रा की 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के एक अस्पताल में मौत हो गई थी. इस अपराध के सिलसिले में गिरफ्तार आरोपियों में से एक राम सिंह ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी जबकि एक अन्य आरोपी किशोर था जिसे अधिकतम तीन साल की कैद हुई थी. 

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सुप्रीम कोर्ट ने नौ जुलाई को तीन दोषियों मुकेश, पवन गुप्ता और विनय शर्मा की उन याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था, जिनमें उन्होंने मौत की सजा के 2017 के उसके फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध किया था. चौथे दोषी अक्षय कुमार सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की है. दोषियों को दिल्ली उच्च न्यायालय तथा निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी. 

वकील श्रीवास्तव ने अपनी जनहित याचिका में कहा था कि तीन दोषियों की पुनर्विचार याचिका खारिज हुये साढ़े चार महीने से भी अधिक समय हो गया है लेकिन अभी तक उनकी सजा पर अमल नहीं किया गया है.

(इनपुट- भाषा से भी)

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