दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस, JDU और आरजेडी 'झा' ब्राह्मणों के सहारे

विधानसभा चुनाव भले ही दिल्ली में होने जा रहा है, लेकिन वहां भी 'बिहार की धमक' सुनाई दे रही है। दिल्ली चुनाव में तीन दलों ने अपनी रणनीति पूरी तरह बिहार की तिकड़ी या यूं कहें कि 'झा तिकड़ी' के हवाले कर दी है.

दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस, JDU और आरजेडी 'झा' ब्राह्मणों के सहारे

दिल्ली में कई सीटों पर पूर्वांचली निर्णायक भूमिका में हैं. (फाइल फोटो)

खास बातें

  • दिल्ली में 70 विधानसभा सीटें
  • कई सीटों पर पूर्वांचलियों का दबदबा
  • बीजेपी के मनोज तिवारी भी हैं बिहार से
नई दिल्ली:

विधानसभा चुनाव भले ही दिल्ली में होने जा रहा है, लेकिन वहां भी 'बिहार की धमक' सुनाई दे रही है। दिल्ली चुनाव में तीन दलों ने अपनी रणनीति पूरी तरह बिहार की तिकड़ी या यूं कहें कि 'झा तिकड़ी' के हवाले कर दी है. दिल्ली चुनाव में भाग्य आजमा रही कांग्रेस की चुनाव अभियान समिति की बागडोर जहां कांग्रेस के नेता और दरभंगा से पूर्व सांसद रहे कीर्ति झा आजाद के जिम्मे है, वहीं बिहार में सत्ताधारी जनता दल (युनाइटेड) ने दिल्ली का चुनाव प्रभारी बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय झा को बनाया है. यही नहीं, बिहार में मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने भी राज्यसभा सांसद मनोज झा को चुनाव प्रभारी बनाकर चुनावी मैदान में उतर रही है. राजद और जद (यू) जहां अपने विस्तार पर लगातार जोर दे रही है, वहीं कांग्रेस एकबार फिर दिल्ली की सत्ता पर काबिज होना चाहती है. दिल्ली के कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां पूर्वाचल समाज के लोग अच्छी खासी तादाद में हैं. यही कारण है कि दिल्ली के सभी राजनीतिक दल पूर्वाचली मतदाताओं को लामबंद करने के लिए अपने-अपने तरीके से योजनाएं बना रहे हैं. 

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इस समाज के लोग मुख्य तौर पर उत्तरी-पश्चिमी, उत्तरी-पूर्वी और दक्षिणी दिल्ली इलाकों में ज्यादा हैं। जद (यू) के एक नेता कहते हैं, "दिल्ली चुनाव का दायित्व बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय झा को सौंपा गया है. दिल्ली में बड़ी संख्या में पूर्वाचल के लोग रहते हैं, इसी भरोसे जदयू यहां से कुछ सीटें हासिल करने की उम्मीद में है. पिछले दिनों बदरपुर में पार्टी अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक सभा कर पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश कर चुके हैं." सूत्रों का कहना है कि जदयू भाजपा के साथ गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरना चाहती है, जिसके लिए बातचीत भी चल रही है.  हालांकि सूत्र यह भी कहते हैं कि अगर बात नहीं बनती है, तब जद (यू) अकेले भी चुनाव मैदान में उतर सकती है.

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गौरतलब है कि हाल में हुए झारखंड विधानसभा चुनाव में जद (यू) अकेले चुनाव मैदान में उतरी थी, हालांकि उसे सफलता हाथ नहीं लगी. इस बीच राजद, कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव मैदान में उतर रही है. राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं, "राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद बिहारियों के दिल में रहते हैं, भले ही बिहार के लोग बिहार के गांवों में रहते हों या दिल्ली जैसे शहरों में. इसलिए इस चुनाव में मनोज झा की काबिलियत और राजद अध्यक्ष लालू के नाम का फायदा राजद और कांग्रेस दोनों को मिलेगा."

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दिल्ली में बिहार और उत्तर प्रदेश के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं. कहा जाता है कि दिल्ली की तकरीबन 20-22 सीटों पर पूर्वाचल और बिहार के मतदाताओं का प्रभाव है. यही वजह है कि हर पार्टी पूर्वाचल के मतदाताओं पर खास नजर रख रही है. यही कारण है कि राजद, कांग्रेस और जद (यू) बिहार के नेताओं को प्रभारी बनाकर पूर्वाचल के मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने के प्रयास की रणनीति पर काम कर रही है. बहरहाल, मतदाताओं को कौन कितना रिझा पाता है, यह तो चुनाव परिणाम आने पर ही पता चलेगा, लेकिन इस चुनाव में दिल्ली की जनता को 'झा तिकड़ी' की रणनीति देखने को खूब मिलेगी. 

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