RTI कानून में संशोधन का निर्णय एक खराब कदम है : अरविंद केजरीवाल

केजरीवाल ने ट्वीट किया, “आरटीआई कानून में संशोधन का निर्णय एक खराब कदम है. यह केंद्रीय एवं राज्यों के सूचना आयोगों की स्वतंत्रता समाप्त कर देगा जो आरटीआई के लिए अच्छा नहीं होगा.

RTI कानून में संशोधन का निर्णय एक खराब कदम है : अरविंद केजरीवाल

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून में संशोधन करने के केंद्र के कदम का सोमवार को विरोध करते हुए आरोप लगाया कि इससे केंद्रीय एवं राज्य के सूचना आयोगों की स्वतंत्रता समाप्त हो जाएगी. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून में संशोधन करने के केंद्र के कदम का सोमवार को विरोध करते हुए आरोप लगाया कि इससे केंद्रीय एवं राज्य के सूचना आयोगों की स्वतंत्रता समाप्त हो जाएगी.  अपनी सियासी पारी शुरू करने से पहले आरटीआई कानून को लागू करवाने की दिशा में सक्रियता से काम करने वाले केजरीवाल ने कहा कि आरटीआई कानून में संशोधन करना एक 'खराब कदम' है. केजरीवाल ने ट्वीट किया, “आरटीआई कानून में संशोधन का निर्णय एक खराब कदम है. यह केंद्रीय एवं राज्यों के सूचना आयोगों की स्वतंत्रता समाप्त कर देगा जो आरटीआई के लिए अच्छा नहीं होगा.”  

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केंद्र ने आरटीआई कानून में संशोधन करने के लिए लोकसभा में शुक्रवार को एक विधेयक पेश किया जो सूचना आयुक्तों का वेतन, कार्यकाल और रोजगार की शर्तें एवं स्थितियां तय करने की शक्तियां सरकार को प्रदान करने से संबंधित है। सूचना का अधिकार (संशोधन) विधेयक पेश करते वक्त प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह आरटीआई कानून को अधिक व्यावहारिक बनाएगा.  उन्होंने इसे प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए लाया गया कानून बताया. हालांकि सामाजिक कार्यकर्ता आरटीआई कानून में संशोधन के कदम की आलोचना कर रहे हैं . उनका कहना है कि यह पैनल की स्वतंत्रता पर हमला है. 

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लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि मसौदा विधेयक केंद्रीय सूचना आयोग की स्वतंत्रता को खतरा पैदा करता है.  कांग्रेस के ही शशि थरूर ने कहा कि यह विधेयक वास्तव में आरटीआई को समाप्त करने वाला विधेयक है जो इस संस्थान की दो महत्वपूर्ण शक्तियों को खत्म करने वाला है. एआईएमआईएम के असादुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह विधेयक संविधान और संसद को कमतर करने वाला है.  ओवैसी ने इस पर सदन में मत विभाजन कराने की मांग की. कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने इस दौरान सदन से वाकआउट किया.

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