NIA की हिरासत में कोरोना पॉजिटिव मिली महिला को दिल्ली की अदालत से नहीं मिली जमानत

दिल्ली की अदालत ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की हिरासत में रहने के दौरान कोरोना पॉजिटिव मिली कश्मीरी महिला को मंगलवार को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया.

NIA की हिरासत में कोरोना पॉजिटिव मिली महिला को दिल्ली की अदालत से नहीं मिली जमानत

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली:

दिल्ली की अदालत ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की हिरासत में रहने के दौरान कोरोना पॉजिटिव मिली कश्मीरी महिला को मंगलवार को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया. हिना बशीर बेग नामक इस महिला को संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान देश में आतंकवादी हमले की योजना बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है.बेग का इस समय दिल्ली के लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल में इलाज चल रहा है. उसे इस साल की शुरुआत में पति जहांजैब समी और अन्य आरोपी अब्दुल बासित के साथ गिरफ्तार किया गया था.


न्यायाधीश ने जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि अरोपी के खिलाफ गंभीर मामला है. हालांकि, उसके उचित चिकित्सा सुविधा दी जाएगी. न्यायाधीश ने आरोपी की ओर से पेश वकील एमएस खान से किसी निजी अस्पताल के बारे में सुझाव देने को कहा जहां बेग को स्थानांतरित किया जा सके. अदालत ने यह निर्देश वकील द्वारा सरकारी अस्पताल में उचित इलाज नहीं मिलने के दावे के बाद दिया.एनआईए के मुताबिक तीनों आरोपियों को कथित रूप से इस्लामिक स्टेट की विचारधारा का प्रचार करने और संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है.


अदालत के निर्देश पर आरोपियों की कोविड-19 जांच छह जून को हुई थी, जबकि उनकी 10 दिनों की एनआईए हिरासत सात जून को समाप्त हो गई. एनआईए ने अदालत से कहा, ‘‘आरोपी व्यक्तियों, जहांजैब समी और मोहम्मद अब्दुल बासित की कोविड-19 जांच रिपोर्ट नेगेटिव आई है. लेकिन हिना बशीर बेग की (कोविड-19 जांच) रिपोर्ट पॉजिटिव आई है.''
इसके बाद अदालत ने एनआईए को निर्देश दिया कि वह महिला को तत्काल अस्पताल में भर्ती कराए. बेग ने अपनी जमानत याचिका में कहा, ‘‘दिल्ली कोविड-19 के बढ़ रहे मामलों से मुकाबला करने में संघर्ष कर रही है. मामले 27 हजार से ऊपर हो गए हैं और सरकारी अस्पतालों में उचित इलाज की कमी के चलते, जिसे मीडिया ने भी रेखांकित किया है, दिल्ली सरकार ने 56 निजी अस्पतालों की सूची कोविड-19 इलाज के लिए जारी करने के लिए मजबूर हुई है.''


तीनों आरोपियों के इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत (आईएसकेपी) के साथ कथित संबंध हैं. उन्हें दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने मार्च में गिरफ्तार किया था और बाद में उन्हें 23 मार्च को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. दिल्ली पुलिस ने जब इस मामले में बासित को गिरफ्तार किया, तब वह एक अन्य मामले में पहले से जेल में था जिसकी जांच एनआईए कर रही है.बाद में यह मामला भी एनआईए को सौंप दिया गया था. एनआईए ने 20 मार्च को आईपीसी की धारा 120 (बी) :आपराधिक साजिश रचने:, 124 (ए) :देशद्रोह: और 153 (ए) :दंगा के लिये उकसाने: के अलावा गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीपीए) की संबद्ध धाराओं के तहत एक मामला दर्ज किया था.


एनआईए ने बाद में यहां एक विशेष अदालत का रुख कर तीनों आरोपियों को पूछताछ के लिये हिरासत में सौंपने की मांग की थी, जिसे न्यायाधीश ने 20 मई को 10 दिनों की अवधि के लिये इजाजत दे दी. साथ ही, तिहाड़ जेल प्रशासन को निर्देश दिया कि वह उनकी कोविड-19 जांच कराने के बाद उन्हें एनआईए की हिरासत में सौंप दें. जांच एजेंसी ने कहा कि आरोपी आतंकी समूह इस्लामिक स्टेट (आईएस) की विचारधारा का प्रसार करने और भारत में आतंकवादी हमले करने की साजिश रच रहे थे. वे आईएसकेपी के लिए लोगों की भर्ती भी कर रहे थे.


दिल्ली पुलिस ने इससे पहले कहा था, ‘‘एक ऑडियो संदेश में अब्दुल बासित ने जहांजैब से कहा कि वह कुछ ऐसे लोगों को प्रोत्साहित करें जो अकेले ट्रक या लॉरी से रौंदकर लोगों को मार सकें.''पुलिस के मुताबिक तीनों ने अबू उस्मान अल कश्मीरी से संपर्क किया जो आईएसकेपी के भारतीय मामलों का प्रमुख है.

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