दिल्ली चुनाव और शाहीन बाग : 2008 में शीला ने हराया था बीजेपी को, क्या केजरीवाल दिखा पाएंगे वैसा दम

दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी अपनी रणनीति के मुताबिक शाहीन बाग के मुद्दे पर खुलकर खेल रही है. सड़क से लेकर संसद तक पार्टी की ओर से संदेश दिया जा रहा है कि शाहीन बाग में जारी प्रदर्शन के वह पूरी तरह से खिलाफ है.

दिल्ली चुनाव और शाहीन बाग : 2008 में शीला ने हराया था बीजेपी को, क्या केजरीवाल दिखा पाएंगे वैसा दम

साल 2008 के चुनाव में शीला दीक्षित ने बीजेपी को पटखनी दी थी

खास बातें

  • दिल्ली विधानसभा चुनाव
  • BJP ने बनाया शाहीन बाग को मुद्दा
  • केजरीवाल ने बनाया कामों को मुद्दा
नई दिल्ली:

दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी अपनी रणनीति के मुताबिक शाहीन बाग के मुद्दे पर खुलकर खेल रही है. सड़क से लेकर संसद तक पार्टी की ओर से संदेश दिया जा रहा है कि शाहीन बाग में जारी प्रदर्शन के वह पूरी तरह से खिलाफ है. इतना ही नहीं शाहीन बाग पर विवादित बयान देकर चुनाव आयोग की कार्रवाई का सामना कर चुके बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा को ही राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर लोकसभा में चर्चा शुरू कराई. वहीं सुबह सदन में प्रश्नकाल के समय भी अनुराग ठाकुर जब पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे तो उनके विरोध में भी नारेबाजी शुरू हो गई. अनुराग ठाकुर ने भी दिल्ली में एक रैली के दौरान 'गद्दारों को गोली मारो' जैसा नारा लगवाया था. 

राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर जब सदन में चर्चा के लिए जैसे ही प्रवेश वर्मा खड़े हुए विपक्षी सदस्यों ने उनके खिलाफ ‘शर्म करो, शर्म करो' के नारे लगाए. इस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सदन से बाहर कही गई बातों को उठाकर कार्यवाही बाधित करना ठीक नहीं है, इससे गलत चलन शुरू हो जायेगा. उन्होंने कहा कि एक सदस्य के रूप में वर्मा को सदन में अपनी बात रखने का पूरा अधिकार है. इसके बाद कांग्रेस, द्रमुक सहित कुछ विपक्षी दलों के सदस्यों ने सदन से वाकआउट कर दिया.  शोर-शराबे के बीच चले प्रश्नकाल में वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर जब वित्त मंत्रालय से संबंधित पूरक प्रश्नों का उत्तर देने के लिए खड़े हुए तो कांग्रेस सदस्यों ने 'अनुराग ठाकुर वापस जाओ', 'अनुराग ठाकुर शेम शेम' और 'गोली मारना बंद करो' के नारे लगाए. 

वहीं लोकसभा में कांग्रेस के सांसद ने गौरव गोगोई ने आरोप लगाया कि कुछ केंद्रीय मंत्री अपने ‘राजनीतिक आकाओं' की मौन सहमति से भड़काऊ बयान देकर देश को बांटने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन देश में इस ‘नफरत की राजनीति' की जगह ‘उम्मीद की राजनीति' की जरूरत है. उन्होंने यह भी कहा कि देश में बेरोजगारी, गरीबी, महंगाई, अशिक्षा जैसी विकराल चुनौतियों के बीच विभाजन करने वाले मुद्दे उठाये जा रहे हैं, ऐसे में ही विपक्षी पार्टियां देश और संविधान को बचाने की बात कर रही है. गोगोई ने कहा, 'आज देश में ऐसे हालात बन गये हैं कि लोग संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए सड़कों पर उतरे हैं. जिस पर हमें गर्व है.' उन्होंने कहा कि सरकार के मंत्री लोगों को उकसाने वाले कुछ भी बयान दें, लेकिन अंत में जनता ही सरकार चुनती है और सत्ता से बाहर का रास्ता भी दिखाती है. 

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इन सब चर्चाओं, बयानों और आरोपों के बीच सवाल इस बात का है कि क्या शाहीन बाग का जिक्र करके बीजेपी दिल्ली में वोटरों का ध्रुवीकरण पाएगी. इस सवाल की पृष्ठभूमि में हमें साल 2008 में हुआ चुनाव याद रखना चाहिए. मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हमला हुआ था और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर कांग्रेस की अगुवाई में चल रही यूपीए सरकार पूरी तरह से बैकफुट पर थी. दो दिन बाद 28 नवंबर को दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग होनी थी. बीजेपी ने इन दो दिनों में वोटरों को यह संदेश देने की पूरी कोशिश की थी कि कांग्रेस के राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर नरम अपनाती है. लेकिन इस समय दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की भी लोकप्रियता चरम पर थी. उनके विकास कार्यों की तारीफ हो रही थी और जब नतीजा आया तो कांग्रेस की जीत हुई थी. क्या अरविंद केजरीवाल भी वैसा ही करिश्मा कर पाएंगे. (इनपुट : भाषा से भी)