यह ख़बर 11 जुलाई, 2013 को प्रकाशित हुई थी

दिल्ली गैंगरेप : नाबालिग आरोपी पर फैसला 25 जुलाई को

खास बातें

  • पुलिस ने अपनी जांच रिपोर्ट में आरोप लगाया था कि पांचों वयस्क आरोपियों के अलावा इस नाबालिग ने न केवल लड़की से बलात्कार किया था, बल्कि वह शेष सभी आरोपियों की तुलना में ज़्यादा हिंसक था।
नई दिल्ली:

पिछले साल 16 दिसंबर को राजधानी दिल्ली में हुए गैंगरेप मामले के छह आरोपियों में से एक नाबालिग आरोपी पर जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने आज सुनाया जाने वाला फैसला 25 जुलाई तक के लिए टाल दिया है। फैसले को सीलबंद लिफाफे में रख दिया गया है, लेकिन इसी के साथ दायर किए गए एक लूटपाट के मामले में आरोपी को दोषी करार दे दिया गया है।

पैरा-मेडिकल की 23-वर्षीय छात्रा के साथ एक चलती बस में गैंगरेप करने के इस मामले में इस नाबालिग को भी आरोपी बनाया गया था, और उसके खिलाफ सुनवाई जुवेनाइल कोर्ट में चल रही थी। मार्च में पुलिस की चार्जशीट के बाद आरोपी के खिलाफ मामला शुरू हुआ था, और कुछ ही दिन पहले बोर्ड ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था।

विशेषज्ञों के अनुसार, भले ही इस नाबालिग आरोपी को दोषी करार दे दिया जाए, लेकिन इसे ज़्यादा से ज़्यादा तीन साल की सज़ा होगी, जो उसे विशेष सुधार गृह में काटनी होगी, जेल में नहीं... और इसमें वह वक्त भी शामिल होगा, जो वह पहले ही हिरासत में काट चुका है। चूंकि वह नाबालिग है, इसलिए इस अपराध में उसकी भूमिका तथा उसका नाम हमेशा के लिए गुप्त रखा जाएगा और भविष्य में यदि यह किसी नौकरी के लिए आवेदन करता है, तो उसे इस अपराध का ज़िक्र करना ज़रूरी नहीं होगा।

पुलिस ने अपनी जांच रिपोर्ट में आरोप लगाया था कि पांचों वयस्क आरोपियों के अलावा इस नाबालिग ने न केवल लड़की से बलात्कार किया था, बल्कि वह शेष सभी आरोपियों की तुलना में ज़्यादा हिंसक था। वैसे, पुलिस ने सभी आरोपियों पर सामूहिक बलात्कार करने, हत्या करने, आपराधिक षडयंत्र रचने, अप्राकृतिक यौनाचार करने और लूटपाट करने के आरोप लगाए हैं।


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उधर, इस नाबालिग आरोपी ने बोर्ड के सामने पुलिस पर उसे फंसाने का आरोप लगाया। पुलिस ने अपने आरोपों के पक्ष में छह गवाह भी पेश किए गए, जिनमें पीड़िता का वह दोस्त भी शामिल है, जो घटना के वक्त उसके साथ मौजूद था।
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वैसे, जिस वक्त गैंगरेप की यह वारदात हुई थी, यह आरोपी नाबालिग था, हालांकि अब वह बालिग है। देशभर में इस बर्बर वारदात के बाद बहुत हो-हल्ला मचा था, और बलात्कार विरोधी कानून पर व्यापक चर्चा हुई थी। सरकार ने इसके बाद भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में बदलाव कर बलात्कार विरोधी कानून को काफी सख्त कर दिया था।