यह ख़बर 10 सितंबर, 2013 को प्रकाशित हुई थी

दिल्ली गैंगरेप मामले में फैसला, उजागर हुई अपराध की क्रूरता

खास बातें

  • देश को हिलाकर रख देने वाली दिल्ली दुष्कर्म की घटना पर यहां की एक त्वरित अदालत ने मंगलवार को अपने फैसले में चार लोगों को 23 वर्ष की प्रशिक्षु फीजियोथेरेपिस्ट के साथ क्रूरतापूर्वक दुष्कर्म करने का दोषी ठहराया।
नई दिल्ली:

देश को हिलाकर रख देने वाली दिल्ली दुष्कर्म की घटना पर यहां की एक त्वरित अदालत ने मंगलवार को अपने फैसले में चार लोगों को 23 वर्ष की प्रशिक्षु फीजियोथेरेपिस्ट के साथ क्रूरतापूर्वक दुष्कर्म करने का दोषी ठहराया। दिल दहला देने वाली इस घटना के करीब नौ माह बाद अदालत का फैसला आया है।

इस घटना से न केवल प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू हुआ, बल्कि भारी जन दबाव के कारण संसद ने दुष्कर्म के खिलाफ कानून को और कठोर किया।

दोषी ठहराए गए लोगों को बुधवार को सजा सुनाई जाएगी, लेकिन इन्हें मौत की सजा दिए जाने की मांग नारीवादी कार्यकर्ताओं से लेकर विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेता सुषमा स्वराज तक ने की है।

साकेत स्थित जिला अदालत के एक छोटे से खचाखच भरे कमरे में फैसला सुनाते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश योगेश खन्ना ने चारों को सामूहिक दुष्कर्म, हत्या, पीड़िता के पुरुष मित्र की हत्या के प्रयास, अप्राकृतिक अपराध, सबूत मिटाने, डकैती और अन्य आरापराधिक धाराओं के तहत दोषी ठहराया।

अदालत ने कहा कि तथ्यों से सभी 'असहाय पीड़िता' की 'नृसंश हत्या' के लिए जिम्मेवार ठहरते हैं।

न्यायाधीश ने कहा, "छह लोगों ने एक-एककर उसके साथ दुष्कर्म किया और लोहे की छड़ व हाथ उसके पेट में घुसेड़ा गया। उसके आंतरिक अंग को शरीर से बाहर निकाला गया। यह पहलू पीड़िता को लगे घाव की गंभीरता को दर्शाता है।" उन्होंने कहा कि आंतरिक अंगों को लगे '18 घावों' सहित आरोपियों द्वारा पीड़िता के लगाए गए शारीरिक घाव 'खतरनाक' थे और 'उसकी मौत' के लिए पर्याप्त थे।

पीड़िता के माता-पिता और भाई ने भी इसी तरह की भावना व्यक्त की। पीड़िता की मां ने कहा, "मैं सभी के लिए मौत की सजा चाहती हूं और केवल तभी मुझे शांति मिलेगी।"

चारों आरोपी, मुकेश, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर गिरफ्तार किए जाने के बाद से जेल में बंद हैं। जिस समय अदालत ने अपना फैसला सुनाया वे सभी अदालत में मौजूद थे।

अदालत का फैसला सुनने के बाद विनय शर्मा रोने लगा और मुकेश के माता-पिता भी रोने लगे।

अदालत ने कहा कि पीड़िता के शरीर में दोषियों ने उसे मार डालने की 'नीयत' से रॉड घुसेड़ा।

अदालत ने कहा, "सामूहिक दुष्कर्म के बाद रॉड घुसेड़ने और आंतरिक अंगों को बाहर खींचने को हत्या को अंजाम देने के रूप में ही देखा जा सकता है।"

237 पृष्ठों के अपने फैसले में अदालत ने कहा है कि 'क्रूरतापूर्ण तरीके' से घाव लगाए गए और मौत भी दुर्घटना से नहीं हुई है।

न्यायाधीश खन्ना ने कहा कि दोषियों के कारनामे की प्रकृति यह साबित करता है कि इनमें से कोई भी आवेश में नहीं था बल्कि 'स्पष्ट रूप से यह तथ्य स्थापित करता है इनका कारनामा पूर्वनियोजित था।'

जिस तरीके से राड का इस्तेमाल किया गया और पीड़िता के शरीर पर लगे घाव इस संभावना को बल देते हैं कि आरोपियों ने 'पीड़िता को काबू में करने के लिए' रॉड का इस्तेमाल किया। घाव के कारण क्रूर हमले के 13 दिनों बाद पीड़िता की मौत हो गई।

अदालत ने कहा, "पीड़िता की मौत दोषियों द्वारा लगाए गए घाव के कारण हुई। ऐसे घाव को चिकित्सकों द्वारा खतरनाक, चिकित्सा के लिए अत्यंत खराब और मौत के लिए पर्याप्त करार दिया गया है।"

न्यायाधीश ने कहा कि बस में मौजूद शिकायतकर्ता (पीड़िता के पुरुष मित्र) की गवाही मामले में निष्कर्ष तक पहुंचने में 'महत्वपूर्ण' है।

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इस मामले के छह आरोपियों में से एक ने दिल्ली की तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली, जबकि एक किशोर आरोपी को 31 दिसंबर को किशोर न्याय बोर्ड ने तीन वर्ष के लिए सुधार गृह भेज दिया। बोर्ड ने माना कि किशोर आरोपी को दुष्कर्म और हत्या में शामिल था।