दिल्ली सरकार ने कोरोना मरीज़ों और अस्पतालों के लिए जारी किए SOPs, इन बातों का देना होगा ध्यान

दिल्ली सरकार ने कोरोना मरीज़ों और अस्पतालों के लिए बाकायदा एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) जारी किए हैं.

दिल्ली सरकार ने कोरोना मरीज़ों और अस्पतालों के लिए जारी किए SOPs, इन बातों का देना होगा ध्यान

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली:

देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना का आंकड़ा 25 हजार पार कर गया है. दिल्ली में बीते 24 घंटे में 1359 नए मामले सामने आए और इस दौरान 22 मरीजों की जान चली गई है. दिल्ली के अस्पतालों से लगातार खबरें आ रही हैं कि अस्पताल मरीज को या तो एडमिट नहीं कर रहे या बहुत देर लगा रहे हैं जिसकी वजह से मरीज और उनके परिजन परेशान हो रहे हैं. जिसके बाद अब दिल्ली सरकार ने कोरोना मरीज़ों और अस्पतालों के लिए बाकायदा एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) जारी किए हैं.

मरीज़ का आगमन

जैसे ही मरीज को अस्पताल एंबुलेंस या अन्य वाहन से लाया जाता है वैसे उसको बिना किसी जानकारी मांगे उस एरिया में ले जाओ जहां पहले से ऐसे मरीजों के लिए जगह बनाई हुई है या जहां पर रखी जाती है. 

मरीज की छटाई और एडमिट

अस्पताल का स्टाफ मरीज को उसकी स्थिति के अनुसार बैठने के लिए जगह या फिर लेटने को बेड दे. जो डॉक्टर मरीजों की छंटाई की ड्यूटी पर लगे हो वो मरीज की हालत के अनुसार 1 घंटे के भीतर अटेंड करें। उस एरिया में खाने पीने का सामान भी दिया जाए.

मरीज को 3 घंटे से ज्यादा ना रुकवाया जाए और ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर स्पेशलिस्ट की मदद से 3 बातें तय करें

मरीज की हालत के अनुसार उसे किस वार्ड में एडमिट किया जाएगा और किस लेवल का ट्रीटमेंट दिया जाएगा. जैसी जरूरत हो मरीज को एक बेड से दूसरे बेड पर शिफ्ट किया जाए.

जरूरत के हिसाब से बेड उपलब्ध नहीं है तो यह पूरी तरह से अस्पताल की जिम्मेदारी होगी कि वह मरीज को दूसरे अस्पताल में ट्रांसफर करें और तब तक अस्पताल मरीज को मेडिकल सुविधा प्रदान करेगा.

मरीज को अगर आगे इलाज की जरूरत नहीं है और वह हल्के या मध्यम लक्षण वाली श्रेणी में आता है जिसमें होम कोरेंटिन की इजाजत है लेकिन उसके पास घर में जगह नहीं है तो उसको कोविड केअर सेन्टर ट्रांसफर किया जाए. लेकिन इससे पहले अस्पताल मरीज को सारी बातें अच्छे से समझाएगा.

अगर मरीज को आगे इलाज की जरूरत नहीं है और वह बिना लक्षण वाले या हल्के लक्षण वाले श्रेणी में आता है जहां पर होम कोरेंटिन की इजाजत है तो उसको सारी बातें समझा कर अस्पताल से डिस्चार्ज किया जाए.

अगर अस्पताल की छटाई वाले इलाके में ही मरीज की मौत हो जाती है या उसे वहां मृत लाया जाता है तो मरीज को मुर्दाघर में ले जाया जाएगा. 

अस्पताल में एडमिट रहने के दौरान या छंटाई वाले इलाके में मरीज़ को ऐसा लगता है कि उसको नियमों के हिसाब से इलाज नहीं दिया जा रहा या फिर एडमिशन देने से मना किया जा रहा है या फिर बिना किसी कारण के देरी की जा रही है या फिर साफ सफाई खाना जैसी समस्या है तो वह अस्पताल की हेल्पलाइन नंबर पर कॉल कर सकता है. अस्पताल प्रशासन हेल्पलाइन के लिए  24 घंटे सातों दिन लोगों की तैनाती करे. हेल्पलाइन का नंबर मरीज को एडमिट करते वक्त दिया जाए.


ट्रीटमेंट और अस्पताल के टेस्ट

मेडिकल प्रोटोकॉल के हिसाब से मरीज को रखा जाए और मरीज के टेस्ट लेटेस्ट ऑर्डर के हिसाब से करवाए जाएं.

मरीज को समय से सुबह की चाय, नाश्ता, लंच, शाम की चाय, डिनर और फल दिन में दो बार दिए जाएं. लंच और डिनर के साथ एक -एक पानी की बोतल भी दी जाए.

मरीज़ का डिस्चार्ज

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मरीज को अस्पताल से मेडिकल प्रोटोकॉल के हिसाब से डिस्चार्ज किया जाए। लेटेस्ट ऑर्डर के हिसाब से मरीज जब कोरोना नेगेटिव टेस्ट में आये तो ही डिस्चार्ज करें.