यह ख़बर 09 नवंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

नरेंद्र मोदी सरकार की राह पर दिल्ली सरकार, अपना रही है खर्च कटौती के उपाय

दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग की फाइल तस्वीर

नई दिल्ली:

केंद्र सरकार के कुछ मितव्ययिता (खर्च कटौती) उपाय लागू करने के बाद अब दिल्ली सरकार भी उसी राह पर चल पड़ी है। दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार की तरह एक आदेश जारी कर आधिकारिक बैठकों और दोपहर के भोजन की अधिकतम खर्च सीमा को घटा दिया है। साथ ही अधिकारियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले ईंधन की सीमा भी तय कर दी है।

सरकार ने अपने सभी विभागों, स्वायत्त निकायों, संविधानिक निकायों के अधिकारियों के लिए एक माह में प्रति वाहन 200 लीटर ईंधन खर्च करने की सीमा तय कर दी है।

इससे पहले, सभी उपायुक्त, जिलाधिकारी और राजस्व विभाग के एसडीएम प्रतिमाह 400 लीटर ईंधन इस्तेमाल करते थे, लेकिन अब अधिकारी प्रति माह 200 लीटर पेट्रोल या डीज़ल इस्तेमाल कर पाएंगे।

सरकारी अधिकारी के मुताबिक, उद्घाटन समारोह की अधिकतम खर्च सीमा 10,000 रुपये निर्धारित कर दी गई है।

नरेंद्र मोदी सरकार ने हाल ही में गैर-जरूरी खर्च को कम करने के लिए और उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम प्रयोग करने के मकसद से शुरू की गई मितव्ययिता अभियान के तहत शीर्ष नौकरशाहों के हवाई हवाज की प्रथम श्रेणी में यात्रा करने पर रोक लगा दी थी।

केंद्र ने मंत्रियों से गैर-नियोजित खर्च को कम करने के लिए कहा है, जिसके तहत उन्हें नए वाहनों की खरीद करने, नए पद बनाने और पांच सितारा होटलों में सम्मेलन करने से मना किया गया है।

केंद्र की राह पर चलते हुए दिल्ली सरकार वैसी ही खर्च सीमा लेकर आई है। सरकार ने आधिकारिक बैठकों में महमानों को दिए जाने वाले चाय नाश्ते की सीमा तय करते हुए इसे 25 रुपये प्रति व्यक्ति कर दिया है।

मुख्य सचिव डीपी सपोलिया ने सभी सरकारी विभागों को जारी किए ज्ञापन में कहा, ‘‘मौजूदा वित्त वर्ष की स्थिति को देखते हुए सरकार की संचालन क्षमता को बाधित किए बिना खर्च को तर्कसंगत बनाने और संसाधनों का उचित इस्तेमाल करने की जरूरत है।’’

सपोलिया ने ज्ञापन में कहा, ‘‘दिनचर्या में निर्धारित सीमा का उल्लंघन सीमा तय करने के उद्देश्य की विफलता होगी। सीमा में छूट कुछ मौकों और विशेष परिस्थितियों में दी जाएगी और उसका भी पर्याप्त कारण होना चाहिए।’’

उन्होंने यह भी कहा कि सभी संबंधित पक्षों की यह जिम्मेदारी है कि वह निर्धारित सीमा का पूरी निष्ठा से पालन करें।

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दिल्ली का वित्त वर्ष 2013-14 का राजकोषीय घाटा 1,268 करोड़ रुपये है और 31 मार्च तक बकाया कर्ज 32,080.30 करोड़ रुपये था।