ITBP में शीर्ष पदों पर आईपीएस अधिकारियों की डेपुटेशन पर नियुक्ति पर हाईकोर्ट ने लगाया स्‍टे

कोर्ट ने आईटीबीपी अधिकारियों की एक याचिका की सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी करते हुए कहा कि सीनियर एडमिनिस्ट्रेटिव ग्रेड पर अगले आदेश तक आईटीबीपी में कोई नियुक्ति डेपुटेशन से नहीं की जानी चाहिए.

ITBP में शीर्ष पदों पर आईपीएस अधिकारियों की डेपुटेशन पर नियुक्ति पर हाईकोर्ट ने लगाया स्‍टे

नई दिल्‍ली:

दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को अपने एक आदेश में कैडर रिव्यू के बाद आईटीबीपी में सृजित आईजी के पदों पर डेपुटेशन पर आने वाले अधिकारियों की नई नियुक्ति पर स्टे लगा दिया है. दिल्ली हाई कोर्ट में जस्टिस एस मुरलीधर और तलवंत सिंह की डिवीजन बेंच ने आईटीबीपी अधिकारियों की एक याचिका की सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी करते हुए कहा कि सीनियर एडमिनिस्ट्रेटिव ग्रेड पर अगले आदेश तक आईटीबीपी में कोई नियुक्ति डेपुटेशन से नहीं की जानी चाहिए. ज्ञात हो कि आईटीबीपी का कैडर रिव्यू 23 दिसंबर 2019 को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूर किया था जबकि यूनियन कैबिनेट ने ही 3 जुलाई 2019 को केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को ऑर्गेनाइज्ड कैडर का दर्जा दिया था. सुप्रीम कोर्ट के 5 फरवरी 2019 के फैसले के अनुसार सभी केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को ऑर्गेनाइज्ड कैडर वाले आर्गेनाईजेशन माना गया था.

इसी आधार पर नए सर्विस रूल बनाने और पदों को सृजित करने की मांग केंद्रीय अर्धसैनिक बलों द्वारा की जाती रही है जबकि 23 अक्टूबर को आईटीबीपी के काडर रिव्यू में पुराने सर्विस रूल्स और एसएजी पर डेपुटेशन की व्यवस्था को चालू रखा गया था. जबकि ऑर्गनाइज्ड कैडर होने की स्थिति में किसी भी बल में आईजी रैंक तक सभी पदों को सिर्फ कैडर अधिकारियों के प्रमोशन से ही भरा जाना आवश्यक है.

इसी के विरोध में आईटीबीपी के कई अधिकारियों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया जिसके आलोक में हाईकोर्ट द्वारा अंतरिम आदेश जारी करते हुए आईटीबीपी में आईजी रैंक पर किसी भी प्रकार के डेपुटेशन से होने वाली नियुक्ति को स्टे के माध्यम से रोक दिया गया है.

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

गौरतलब है कि सभी केंद्रीय अर्धसैनिक बलों- सीमा सुरक्षा बल, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, सशस्त्र सीमा बल आदि में बहुत दिनों से डेपुटेशन पर आने वाले आईपीएस अधिकारियों के विरुद्ध इसलिए रोष है क्योंकि इन बलों में इससे इनके काडर अफसरों की प्रमोशन की संभावनाओं पर विपरीत असर पड़ता है. साथ ही यह अफसर इन बलों की गतिविधियों का अनुभव नहीं रखते और सीधे इन्हें कमांड करने के लिए कमांडर के तौर पर पदस्थ किए जाते हैं. इस संदर्भ में कई मुकदमे अदालतों में अभी भी लंबित हैं.