डेबिट-क्रेडिट कार्ड पर सरचार्ज को लेकर दिल्‍ली हाईकोर्ट ने केंद्र और आरबीआई से जवाब मांगा

डेबिट-क्रेडिट कार्ड पर सरचार्ज को लेकर दिल्‍ली हाईकोर्ट ने केंद्र और आरबीआई से जवाब मांगा

नई दिल्‍ली:

दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को उस जनहित याचिका पर केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का जवाब मांगा, जिसमें कहा गया है कि डेबिट और क्रेडिट कार्ड लेनदेन पर लगाया गया अधिशुल्क 'अवैध' तथा 'भेदभावकारी' है.

मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की पीठ ने कहा कि अगस्त में वह पहले ही वित्त मंत्रालय तथा भारतीय रिजर्व बैंक को मुद्दे पर फैसला करने तथा इस बारे में याचिकाकर्ता को सूचित किए जाने का निर्देश दे चुकी है.

पीठ ने कहा, 'प्रतिवादियों (मंत्रालय और आरबीआई) को सुनवाई की अगली तारीख चार जनवरी 2017 से पहले निर्देश मिलेगा'. अधिवक्ता अमित साहनी द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि '500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों का चलन बंद किए जाने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फैसला 'लाभकारी' है, जबकि क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड के जरिए लेनदेन पर अधिशुल्क में छूट देने के मुद्दे पर सरकार का रुख अत्यंत दुर्भाग्यजनक है'. इसमें कहा गया, 'मौजूदा याचिका में उठाया गया मुद्दा लगभग उस हर व्यक्ति को प्रभावित करता है, जिसका बैंक खाता है और यह बड़े स्तर पर राष्ट्र हित में है'.

याचिका में वकील अमित साहनी द्वारा कहा गया है, 'क्रेडिट और डेबिट कार्ड के जरिए पेट्रोल का भुगतान करने पर गैर कानूनी, असमान और मनमाना व्यवहार प्रत्यक्ष है'. याचिकाकर्ता ने कहा कि मंत्रालय और आरबीआई 'नियम..दिशा-निर्देश बनाने तथा देशभर में बैंकों की निगरानी करने के लिए जिम्मेदार हैं'. उन्होंने अधिकारियों से दिशा-निर्देश तय करने का आग्रह किया, जिससे कि डेबिट और क्रेडिट कार्ड से लेनदेन पर वसूले जा रहे 'गैर कानूनी' और 'भेदभावकारी' अधिशुल्क पर रोक लगाई जा सके.

वकील ने उल्लेख किया कि अधिशुल्क वसूलना न सिर्फ अवैध और भेदभावकारी है, बल्कि यह नकदी में काले धन के प्रवाह को भी बढ़ावा देता है.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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