'अगर आपको लगता है आप मेट्रो में सेफ हैं तो आप गलत सोचती हैं' : लड़की ने सुनाई आपबीती

मैं धीरे-धीरे बात करने लगी. वह मेरे चारों तरफ घूमने लगा. इसके बाद मैंने अपने पापा को देखा और चलने लगी. उस समय वहां पर कोई सुरक्षा नहीं थी.

'अगर आपको लगता है आप मेट्रो में सेफ हैं तो आप गलत सोचती हैं' : लड़की ने सुनाई आपबीती

दिल्ली मेट्रो में सुरक्षा को लेकर लड़की ने उठाए सवाल

खास बातें

  • लड़की ने रविवार को हुए हादसे का जिक्र किया
  • एक के बाद एक ट्वीट के जरिए उठाए सुरक्षा को लेकर सवाल
  • खुद हिम्मत न करती तो हो सकती थी बड़ी घटना
नई दिल्ली:

महिलाओं की सुरक्षा को लेकर अमूमन सवाल उठते रहते हैं. अब दिल्ली मेट्रो में सुरक्षा को लेकर एक लड़की ने सोशल मीडिया पर कुछ सवाल उठाए हैं. उन्होंने एक के बाद एक ट्वीट करके अपनी कहानी बयां की. उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए कहा कि लड़कियां सार्वजनिक स्थलों पर भी सुरक्षित नहीं हैं. उन्होंने ट्वीट की शुरुआत करते समय लिखा कि महिलाओं अगर आपको लगता है कि आप मेट्रो के अंदर या फिर मेट्रो स्टेशन पर सुरक्षित हैं तो आप गलतफहमी की शिकार हैं, जानें कैसे मैं आपको बताती हूं. उन्होंने एक रविवार का जिक्र करते हुए लिखा कि वह 8 बजे मेट्रो में सफर कर रही थीं. लेकिन तभी उनके साथ एक वाकया हुआ. "एक आदमी मेरा पीछा कर रहा था, सिर्फ 20 मिनट पहले, काफी नॉर्मल है ना ये?"

"वह आदमी मेरे पास खड़ा था, यह काफी नॉर्मल बात है, अमूमन कई सारे लोग एक ही रास्ते पर सफर करते हैं. ये सही नहीं होता कि एकदम से किसी पर शक किया जाए." "मैं गोल्फ कोर्स मेट्रो स्टेशन पर उतर गई. वह आदमी मेरे पास ही खड़ा था. किसी से बात करने का नाटक कर रहा था. मैं अपने पैरेंट्स का इंतजार कर रही थी."

"इसके बाद वह आदमी मेरी बात सुनने की कोशिश करने लगा कि मैं अपने पापा से क्या बात कर रही हूं, कहां जा रही हूं. जब मुझे इस बात का अहसास हुआ तो मैंने ईयरफोन लगा लिए. " "मैं धीरे-धीरे बात करने लगी. वह मेरे चारों तरफ घूमने लगा. इसके बाद मैंने अपने पापा को देखा और चलने लगी. उस समय वहां पर कोई सुरक्षा नहीं थी." "मैं उस पर यूं ही आरोप नहीं लगा सकती थी इसलिए मैंने रुक-रुक कर चलकर देखा. जहां मैं रुक रही थी, वह भी वहीं रुक रहा था. उसके बाद मैं पापा की कार की तरफ दौड़ी. उस आदमी ने मुझे धक्का देने का प्रयास किया."

"सीढ़ियां खत्म हो चुकी थीं. मैंने उसे धकेल दिया और थप्पड़ मारा. मैंने हल्ला मचाया और उसे रुकने के लिए कहा ताकि मैं उसे पकड़ सकूं." "जब यह सब कुछ घटित हो रहा था तो सुरक्षा गार्ड पनवाड़ी की दुकान पर हंसी-ठिठोली करते हुए गप्पे लगा रहा था. कोई भी उसे पकड़ने के लिए नहीं दौड़ा. कोई अपनी जगह से हिला भी नहीं." "मेरे पापा ने जब यह सब देखा तो वे कार निकले और उसे पकड़ने के लिए दौड़े. वहां मौजूद लोग मूकदर्शक बने रहे. सब सिर्फ चौंकने का नाटक करते दिखे." 'इसमें सबसे मजाकिया बात यह थी जब गार्ड ने मेरे पास आकर कहा- मैडम हमें क्यों नहीं बताया? उसने यह सब मेरे इतना चिल्लाने के बावजूद कहा. " "बाकी लोगों ने कहा कि मैडम आप ये करती या वो करतीं. लेकिन वे ये नहीं समझ पाए जब कोई आप पर हमला करता है तो आपमें सोचने-समझने की शक्ति क्षीण हो जाती है. मुझसे जो भी अपने आपको बचाने के लिए बेस्ट हो सकता था, वो मैंने किया." "मैंने साल भर पहले यह शहर छोड़ दिया था. पिछले 6 महीनों में मैंने पहली बार मेट्रो ली, जिसका मुझे दुख है. महिलाएं, आप सेफ नहीं हैं. अपनी मदद आप खुद कर सकती हैं, क्योंकि पुलिस और सिक्योरिटी सब दिखावा रह जाता है."

गौरतलब है कि 16 दिसंबर गैंगरेप के बाद दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कड़े कानून भी बनाए गए, लेकिन इतने साल बाद भी महिलाएं सार्वजनिक स्थलों पर भी सुरक्षित नहीं है. रोजमर्रा रेप, छेड़छाड़ और मर्डर की घटनाएं सुनने को मिलती रहती है. 

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