दिल्‍ली की खतरनाक स्‍कूल वैनें : जिनमें जबरन CNG सिलेडरों पर बच्‍चों को बिठाया जाता है

दिल्‍ली की खतरनाक स्‍कूल वैनें : जिनमें जबरन CNG सिलेडरों पर बच्‍चों को बिठाया जाता है

नई दिल्‍ली:

दिल्‍ली की स्‍कूल वैनों में छात्रों को किस कदर अव्‍यवस्थित तरीके से बिठाकर स्‍कूल और घर ले जाया जाता है, इसकी जांच जब NDTV ने की, तो पाया कि हालात काफी बुरे हैं। जांच में पता चला कि आठ सीटर वैन में 25 छात्रों तक को भरकर ले जाया जाता है।

ऐसी स्थिति तकरीबन ज्‍यादातर स्‍कूली वैनों की है। इन वैनों में सीटों पर बच्‍चों को ठूंस-ठूंसकर बिठाया जाता है और बाकी बच्‍चों को जबरन सीएनजी सिलेंडरों पर बिठा दिया जाता है। ज्‍यादातर मामलों में तो इन वाहनों के पास परिवहन विभाग की क्लीयरेंस तक नहीं है, यानी वो अवैध तरीके से चलाई जा रही हैं।

नियमों के मुताबिक, 8 सीटर वैन में अधिकतम 12  बच्‍चे बिठाए जा सकते हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन सालों में स्‍कूल वैन हादसों में एक छात्र की मौत हुई, जबकि 70 से अधिक घायल हुए।

तकरीबन दो दिनों तक NDTV ने कई स्‍कूलों का दौरा किया, ताकि बच्‍चे रोजाना किस कदर खतरों के सामना कर रहे हैं, इस बारे में पता लगाया जा सके।

टीम ने दक्षिणी दिल्‍ली के निजी स्‍कूलों में से एक स्‍कूल की वैन को देखा। इस वैन पर प्राइवेट नंबर था और कोई परमिट भी नहीं था। कैमरा देखकर ड्राइवर भाग निकला।

जबकि अन्‍य वैन में छात्रों को सीएनजी सिलेंडर के ऊपर बैठे देखा गया, जोकि बेहद गंभीर हालात थे। जबकि ड्राइवर ने कहा, नहीं, हम बच्‍चों को ऐसे नहीं बिठाते। वह सरेआम झूठ बोल रहा था, जबकि वैन में बच्‍चे उस गर्म सिलेंडर के ऊपर परेशान बैठे हुए थे।

आपने किस कदर 8 सीटर वैन में 21 छात्रों को बुरे हालातों में बिठाया हुआ? जब यह सवाल एक अन्‍य कैब ड्राइवर से पूछा गया, तो वह माइक को धकेलकर भाग खड़ा हुआ। यही नहीं, एक अन्‍य निजी वैन तो साफ तौर पर बेहद पुरानी दिख रही थी।

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दिल्‍ली पुलिस के विशेष आयुक्‍त (यातायात) मुक्‍तेश चंद्र ने इस बाबत कहा, हम ऐसे वाहनों को जब्‍त और उनका चालान करते हैं, लेकिन समस्‍या का समाधान नहीं होता। ऐसे हालातों को खत्‍म करने के लिए स्‍कूलों और अभिभावकों को खुद मिलकर साथ आगे आना होगा।