केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले को लेकर संसदीय समिति में मतभेद

वित्त संबंधी स्थायी समिति के आधे से अधिक सदस्यों ने इसकी मसौदा रपट को राजनीति से प्रेरित बताया है. साथ ही इसमें असहमति नोट भी लगाया है.

केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले को लेकर संसदीय समिति में मतभेद

प्रतीकात्मक चित्र

नई दिल्ली:

केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले को लेकर अब संसदीय समिति में मतभेद की खबर सामने आ रही है. दरअसल, खबरों के अनुसार नोटबंदी मुद्दे की समीक्षा कर रही संसद की एक स्थायी समिति के सदस्यों में मतभेद हो गया है. वित्त संबंधी स्थायी समिति के आधे से अधिक सदस्यों ने इसकी मसौदा रपट को राजनीति से प्रेरित बताया है. साथ ही इसमें असहमति नोट भी लगाया है. गौरतलब है कि ये सदस्य सत्तारूढ़ भाजपा व उसके सहयोगी दलों से संबंधित हैं. सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एम वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली इस समिति में कुल मिलाकर 31 सदस्य हैं. इनमें से भाजपा व सहयोगी दलों के लगभग 16 सदस्यों ने मसौदा रपट के ‘लहजे व आशय’ पर आपत्ति जताई है.

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उन्होंने बताया कि समिति की बैठक 19 मार्च को बुलाई गई ताकि रपट को स्वीकार करते हुए इसे संसद के मौजूदा सत्र में पेश किया जा सके. हालांकि, भाजपा के 10 व उसके सहयोगी दलों के छह सदस्यों ने रपट के मसौदे पर आपत्ति जताई. इसमें सरकार के नोटबंदी के फैसले को कमजोर कदम बताया है. ध्यान हो कि सरकार ने नोटबंदी के तहत नवंबर 2016 में 500 व 1000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर कर दिया था. इसके साथ ही मसौदा रपट में नोटबंदी के कार्यान्वयन से जुड़े नियम कायदों में बार बार बदलाव की भी आलोचना की गई है.

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सूत्रों के अनुसार मसौदा रिपोर्ट को मंजूरी नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि चूंकि आपत्ति जता रहे सदस्यों की संख्या 50 प्रतिशत से अधिक है इसलिए मसौदे को स्वीकार करने में दिक्कत हो सकती है. भाजपा के कुछ सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित इस नोट में नोटबंदी को‘सबसे बड़ा सुधार’ बताया गया है.( इनपुट भाषा से) 


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