यह ख़बर 23 मार्च, 2012 को प्रकाशित हुई थी

सुप्रीम कोर्ट का देशमुख के खिलाफ टिप्पणी संबंधी आदेश पर रोक से इनकार

खास बातें

  • उच्चतम न्यायालय ने 20 एकड़ भूमि आवंटित करने से जुड़े एक मामले में देशमुख के खिलाफ टिप्पणी करने वाले बंबई उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
नई दिल्ली:

उच्चतम न्यायालय ने फिल्म निर्माता सुभाष घई के संस्थान को 20 एकड़ भूमि आवंटित करने से जुड़े एक मामले में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के खिलाफ टिप्पणी करने वाले बंबई उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।

हालांकि शीर्ष अदालत ने कहा कि वह उच्च न्यायालय द्वारा नौ फरवरी के अपने आदेश में की गई टिप्पणियों को हटाने से जुड़ी याचिका पर विस्तार से सुनवाई करेगी।

भूमि आवंटन को चुनौती देने वालों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी द्वारा देशमुख की अपील का विरोध करने पर न्यायमूर्ति एचएल दत्त और न्यायमूर्ति सीके प्रसाद की पीठ ने कहा, ‘‘हम (देशमुख द्वारा दायर) याचिका पर विस्तार से सुनवाई करेंगे क्योंकि यह शुरुआत में ही खारिज होने वाला मामला नहीं है।’’ पीठ ने याचिकाकर्ताओं को नोटस जारी करके उनसे चार हफ्तों में जवाब मांगा। इस याचिकाकर्ताओं की याचिका पर बंबई उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए सुभाष घई को अपने फिल्म संस्थान ‘विस्लिंग वुड्स’ के लिए आवंटित भूमि राज्य सरकार को वापस करने के लिए निर्देश दिया गया था।

उच्चतम न्यायलय ने घई की कंपनी मुक्ता आर्ट्स के अलावा महाराष्ट्र सरकार और महाराष्ट्र फिल्म, मंच तथा सांस्कृतिक विकास विभाग को भी नोटिस जारी किए। ये सभी उच्च न्यायालय में जनहित याचिका से जुड़े पक्ष थे। देशमुख के खिलाफ आदेश और टिप्पणियों पर रोक से इनकार करते हुए पीठ ने कहा, ‘‘अगर इस अदालत ने एक बार इस मामले की विस्तृत सुनवाई का फैसला कर लिया, रोक लगाने का कोई सवाल नहीं है।’’ देशमुख ने बंबई उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी जिसमें कहा गया था कि उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए ‘अनुचित लाभ पहुंचाकर अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया’।

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उच्च न्यायालय ने लातूर और उस्मानाबाद के राजेंद्र सोनतके और चार अन्य किसानों की ओर से दायर एक जनहित याचिका पर अपना आदेश दिया था। इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि देशमुख ने भूमि आवंटन में शक्ति का दुरुपयोग किया।