पंजाब के स्कूलों-कॉलेजों में ड्रग टेस्ट अनिवार्य करने पर राजनेताओं में मतभेद

चंडीगढ़:

युवाओं में नशे की लत की पहचान के लिए स्कूल-कॉलेज कैंपस में ड्रग टेस्ट कारगर साबित हो सकता है। यह बात पंजाब के मुख्यमंत्री को भेजे एक ज्ञापन में बीजेपी नेता विनीत जोशी ने कही है, और माग की है कि आठवीं कक्षा से लेकर यूनिवर्सिटी तक के छात्रों के लिए यह टेस्ट अनिवार्य किया जाना चाहिए।

विनीत जोशी ने एनडीटीवी को बताया, 'ज़्यादातर युवा स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ते हैं... अगर हम ड्रग टेस्ट के रूप में यह अनिवार्य कर दें कि एडमिशन के वक्त ब्लड और यूरिन की रिपोर्ट ज़रूरी होगी तो काफी हद तक हम पता लगा सकते हैं कि समस्या कितनी बड़ी है, क्योंकि हमारे पास कोई आंकड़े मौजूद नहीं हैं...'

दरअसल, ड्रग के कारोबार से दागदार नेताओं के इस्तीफे को लेकर अकाली दल और बीजेपी में ठनी हुई है, सो, ऐसे में इस मुद्दे पर भी दोनों दलों के मंत्रियों की राय जुदा है। तकनीकी शिक्षामंत्री मदनमोहन मित्तल ने इससे सहमति जताते हुए कहा, 'हमें देखना पड़ेगा कि इसे कितना लागू कर सकते हैं, मैंने एप्लीकेशन अपने डिपार्टमेंट को मार्क कर दी है, ताकि वे बताएं कि कितना खर्च आएगा और इसे आगे कैसे बढ़ाया जा सकता है...'

दूसरी ओर, माध्यमिक शिक्षा मंत्री डीएस चीमा का कहना है कि पंजाब में ड्रग्स पर बोलना फैशन बन गया है। हमारे स्कूलों में 55 लाख बच्चे हैं, इन सबका टेस्ट करवाना मुमकिन नहीं और इसकी ज़रूरत भी नहीं है।

लेकिन टीचर्स का मानना है कि ऐसी किसी भी कोशिश से नशे पर लगाम लगेगी। पंजाब टीचर्स एसोसिएशन के संयुक्त सचिव सुरजीत सिंह के मुताबिक यह टेस्ट ज़रूर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर सरकार सबका टेस्ट नहीं करवा सकती तो कम से कम रैंडम टेस्ट ही करवा दे, इससे अभिभावकों को भी पता चलेगा कि वक्त रहते क्या ज़रूरी एहतियात बरतने चाहिए।

उल्लेखनीय है कि पंजाब में नशे का जाल तेजी से फैल रहा है। सीमावर्ती इलाकों में 15 से 25 साल के 75 फीसदी युवा नशे के आदी हैं, जबकि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक गांवों के 67 फीसदी घरों में कम से कम एक नशे का आदी मौजूद है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी तक, देश के शीर्ष नेतृत्व ने पंजाब में नशे की समस्या पर चिंता जताई है, जबकि पंजाब की बादल सरकार कह रही है कि पंजाबियों को बेवजह बदनाम किया जा रहा है, हालांकि राज्य सरकार के पास अपने बचाव के लिए कोई ठोस आंकड़ा नहीं है।