यह ख़बर 19 जून, 2011 को प्रकाशित हुई थी

पीएम बनने लायक हो चुके हैं राहुल : दिग्विजय

खास बातें

  • प्रधानमंत्री पद के लिए राहुल गांधी की पैरवी करते आ रहे दिग्विजय ने कहा है कि यह युवा नेता इतना परिपक्व हो चुका है कि वह इस पद को संभाल सके।
भोपाल:

प्रधानमंत्री पद के लिए राहुल गांधी की पैरवी करते आ रहे कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा है कि गांधी परिवार का यह युवा नेता अब इतना परिपक्व हो चुका है कि वह देश के इस शीर्ष राजनीतिक पद को संभाल सके। दिग्विजय ने कहा, राहुल पिछले सात-आठ साल से पार्टी के लिए काम कर रहे हैं। वह परिपक्व हो गए हैं और उनके अंदर सही जिज्ञासु राजनीतिक प्रवृत्तियां हैं। उन्होंने कहा कि राहुल में प्रधानमंत्री बनने के सारे गुण और अनुभव आ गए हैं और अब वह इस पद का दायित्व संभालने के लिए तैयार हैं। हालांकि, इस बारे में अंतिम फैसला राहुल को ही खुद लेना होगा। खुद पर लगे अल्पसंख्यकों की तुष्टिकरण के आरोपों को गलत बताते हुए कांग्रेस महासचिव ने कहा कि जब वह मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने बजरंग दल और सिमी दोनों के खिलाफ कार्रवाई की थी। उन्होंने कहा कि जब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का मुसलमानों द्वारा एक कार्यक्रम में सत्कार किया जाता है, तो उसे कोई भी तुष्टिकरण नहीं कहता, लेकिन जब वे आजमगढ़ गए थे, तब उनकी यात्रा का उलेमा कांउसिल, भाजपा और आरएसएस ने विरोध किया। हाल ही में भाजपा में वापस लौटीं मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के बारे में दिग्विजय ने कहा कि इस साध्वी नेता कहा था कि अगर वे भाजपा में लौटीं तो वह अपने मां-बाप के प्रति वफादार नहीं रहेंगी...तो अब ऐसा मान लिया जाना चाहिए। समाज के सदस्यों को लेकर इन दिनों उठी बहस के संबंध में उन्होंने कहा कि ऐसा कोई भी तरीका नहीं है, जिसके तहत चुने हुए नुमाइंदों को समाज के गैर-निर्वाचित लोगों के बराबर मानकर चला जाए। हालांकि, इसके बावजूद गैर-निर्वाचित लोगों के विचारों को भी ध्यान में रखने की बहुत आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इसी कारण से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने समाज के सदस्यों को राष्ट्रीय सलाहकार समिति में सदस्य के रूप में मनोनीत किया है और अरुणा राय और हर्ष मंदर जैसे इसके सदस्य लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने में लगे हुए थे। सिंह ने कहा कि क्योंकि संप्रग सरकार भ्रष्टाचार के प्रति संवेदनशील है, इसलिए उसने इस विधेयक का मसौदा बनाने वाली संयुक्त समिति में अरविंद केजरीवाल और शांतिभूषण जैसे लोगों को भी शामिल किया, जबकि ये लोग कांग्रेस के खिलाफ हैं। बीजेपी शासित मध्य प्रदेश सरकार को निशाना बनाते हुए उन्होंने कहा कि जब वह राज्य के मुख्यमंत्री थे तब प्रदेश में साक्षरता दर बहुत बढ़ गई थी, लेकिन पिछले 10 सालों में वह बहुत नीचे गिर गई है।


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