कुष्ठ रोगियों से भेदभाव का मामला: केंद्र का सुप्रीम कोर्ट में जवाब, अगले हफ्ते कैबिनेट में लाएंगे बिल

सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि टीबी की तरह कुष्ठ रोग को भी जड़ से खत्म किया जा सकता है.

कुष्ठ रोगियों से भेदभाव का मामला: केंद्र का सुप्रीम कोर्ट में जवाब, अगले हफ्ते कैबिनेट में लाएंगे बिल

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

कुष्ट रोगियों से भेदभाव के मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि ऐसे कानून जो कुष्ठ रोगियों से भेदभाव करते हैं, उन्हें दूर रहने को इस बाबत एक बिल लाने जा रही है. ASG पिंकी आनंद ने कोर्ट को बताया कि अगले हफ्ते कैबिनेट में इस मामले को भेजा जाएगा. वहीं सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि टीबी की तरह कुष्ठ रोग को भी जड़ से खत्म किया जा सकता है. इसमें कोई विवाद नहीं है और किसी भी पीड़ित को पीड़ा का सामना न करना पड़े.  

सुप्रीम कोर्ट में मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, सिक्किम, महाराष्ट्र और मणिपुर ने जवाब दाखिल करते हुए अपने यहां की स्थिति साफ की. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को अपने कानूनों की जांच करने और सुधारात्मक उपाय करने का निर्देश दिया था ताकि कुष्ठ रोगियों से प्रभावित व्यक्तियों के खिलाफ ऐसा कोई भेदभाव न हो.  

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता तीन जजों की बेंच ने 119 प्रावधानों को चुनौती देने वाली हुए विधि की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश जारी किया, जो कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों के साथ भेदभाव करते हैं. 

पिछले महीने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने केंद्र को नोटिस जारी किया था और विधि सेंटर ऑफ पॉलिसी द्वारा दायर जनहित याचिका पर कहा था कि वे केंद्र सरकार और 119 कानूनों को रद्द करने के निर्देश चाहते हैं क्योंकि वे कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों के साथ भेदभावपूर्ण हैं. 

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि मुख्य रूप से 14 केंद्रीय कानून हैं जो कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों के खिलाफ भेदभाव को दर्शाते हैं. 

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