पाकिस्तान -बांग्लादेश के बीच कश्मीर पर हुई चर्चा? रिपोर्ट से भारत में चढ़ी त्योरियां

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बांग्लादेश की अपनी समकक्ष शेख हसीना को फोन किया और इसके बाद इस्लामाबाद से बयान जारी किया गया कि इमरान खान ने जम्मू और कश्मीर के बारे में अपनी चिंताओं को शेख हसीना से साझा किया है.

पाकिस्तान -बांग्लादेश के बीच कश्मीर पर हुई चर्चा? रिपोर्ट से भारत में चढ़ी त्योरियां

पाकिस्तान के पीएम इमरान खान (फाइल फोटो).

कोलकाता :

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बांग्लादेश की अपनी समकक्ष शेख हसीना को फोन किया और इसके बाद इस्लामाबाद से बयान जारी किया गया कि इमरान खान ने जम्मू और कश्मीर के बारे में अपनी चिंताओं को शेख हसीना से साझा किया है. गौरतलब है कि चीन के साथ लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण पर संघर्ष के मद्देनजर भारत के पड़ोस में इस बदलते समीकरण को अहम माना जा रहा है. जैसा कि नेपाल के साथ रिश्तों में पिछले कुछ महीनों में खटास आई है. बांग्लादेश के पाकिस्तान के करीब आने से बांग्लादेश के भारत का समर्थन करने का रुख कमजोर पड़ता नजर आ रहा है.

ऐसी चिंताएं हैं कि बांग्लादेश में पहले से ही एक मजबूत प्रभाव वाले चीन की फोन कॉल में भूमिका हो सकती है. कश्मीर पर, दोनों देशों के विपरीत बयान सामने आए हैं. बांग्लादेश के बयान में कश्मीर का जिक्र नहीं है, बयान में  कहा गया कि कोरोनोवायरस संकट और बाढ़ पर चर्चा की गई. जबकि पाकिस्तान के बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री इमरान खान ने कश्मीर पर "पाकिस्तान के नजरिए" और "शांतिपूर्ण समाधान के महत्व पर जोर दिया." 

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भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि चिंता का कोई कारण नहीं है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, "बांग्लादेश के साथ हमारे संबंध हर मौके पर परखे हुए और ऐतिहासिक हैं. हम उनके रुख की सराहना करते हैं कि जम्मू-कश्मीर और उसके सारे घटनाक्रम भारत के आंतरिक मामले हैं. यह एक ऐसा स्टैंड है जो उन्होंने हमेशा लिया है." 
लेकिन कुछ विदेश नीति के विशेषज्ञ आश्वस्त नहीं हैं. 

कोलकाता स्थित विश्लेषक और समाचार पोर्टल ईस्टर्न लिंक के संपादक सुबीर भौमिक ने कहा, "बेशक भारत को चिंतित होना चाहिए.जिस तरह से कूटनीतिक संबंधों की बहाली बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच हुई है. विशेष रूप से एक ऐसे समय में जब भारत को लद्दाख में चीन से परेशानी हो रही है. विशेष चिंता की बात यह है कि, प्रधानमंत्री शेख हसीना के कार्यालय में पाकिस्तान समर्थक आवाज़ें हैं जिसके चलते कश्मीर मुद्दे को उठाया जा रहा है.''

पूर्व विदेश सचिव कृष्णन श्रीनिवासन ने कहा, "दो क्षेत्रीय प्रधानमंत्रियों का बात करना असामान्य नहीं है. दो इस्लामिक देशों के प्रधानमंत्रियों के रूप में, यह आश्चर्यजनक नहीं है कि कश्मीर उनकी बातों में शामिल है." 

बता दें कि जब धारा 370 के तहत दिए गए  जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म कर दिया गया था, तब ढाका ने कहा था कि यह भारत का आंतरिक मामला है. यही ढाका ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के बारे में भी कहा था. लेकिन उसके विदेश मंत्री अब्दुल मूमन ने दिसंबर की भारत यात्रा को रद्द कर दिया था.

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