पैरामिलिट्री फोर्स के अधिकारियों को नहीं मिल रहा प्रमोशन और वित्तीय लाभ, सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनदेखी

केंद्रीय अर्धसैनिक बलों  BSF, CRPF, ITBP, CISF और SSB के करीब 13000 वरिष्ठ अधिकारियों को न तो वरिय रैंको पर नियुक्ति दे रही है और न प्रमोशन के वित्तीय लाभ.

पैरामिलिट्री फोर्स के अधिकारियों को नहीं मिल रहा प्रमोशन और वित्तीय लाभ, सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनदेखी

प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली:

केंद्र सरकार जवानों के पराक्रम और बहादुरी की कसमें खाती है लेकिन उन्हें ही उनके अधिकार नहीं दे पा रही है. केंद्रीय अर्धसैनिक बलों  BSF, CRPF, ITBP, CISF और SSB के करीब 13000 वरिष्ठ अधिकारियों को न तो वरिय रैंको पर नियुक्ति दे रही है और न प्रमोशन के वित्तीय लाभ. हालात ये है कि हाइकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट और खुद भारत सरकार की कैबिनेट केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के अधिकारियों को  2006 से NFFU और NFSG देने को कह चुकी है लेकिन उसके बावजूद पैरामिलिट्री फोर्स के कमांडर इसके लाभ से वंचित है. 

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सुप्रीम कोर्ट के आदेश की उड़ा रहे हैं धज्जियां
सुप्रीम कोर्ट ने 31 जुलाई को ये फैसला सुनाया कि दो महीने के भीतर यानि 30 सितंबर तक केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के अधिकारियों को केंद्र  ऑर्गनाइज्ड ग्रुप 'ए' सर्विसेज मानकर एनएफएफयू, यानी कि Non-Functional Financial अपग्रेडेशन का लाभ  दिया जाए. लेकिन सुप्रीम कोर्ट की ये समय सीमा बीतने के बावजूद अभी तक सरकार के बाबू हरकत में नहीं आए हैं. जबकि इसके लिए पिछले लगभग सात सालों से पैरामिलिट्री फोर्स के अधिकारी संघर्ष कर रहे हैं. 

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क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केंद्रीय अर्धसैनिक बल ऑर्गनाइज्ड ग्रुप ए सर्विस से अलग नहीं माने जा सकते. न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन और आशा की खंडपीठ ने अपने फैसले में यह स्पष्ट कर दिया था कि सरकार को इन बलों के लिए ऑर्गनाइज्ड ग्रुप ए सर्विसेस की तर्ज पर एनएफएफयू का लाभ देना होगा.

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