यह ख़बर 27 जुलाई, 2012 को प्रकाशित हुई थी

खत्म हुई लुका-छिपी, तिवारी ही हैं रोहित के पिता

खास बातें

  • कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नारायण दत्त तिवारी और युवक रोहित शेखर के बीच न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से चार साल से चल रहे 'लुका-छिपी' का शुक्रवार को पटाक्षेप हो गया। डीएनए जांच की रिपोर्ट से पुष्टि हो गई कि तिवारी ही रोहित शेखर के पिता हैं।
नई दिल्ली:

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नारायण दत्त तिवारी और युवक रोहित शेखर के बीच न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से चार साल से चल रहे 'लुका-छिपी' का शुक्रवार को पटाक्षेप हो गया। डीएनए जांच की रिपोर्ट से पुष्टि हो गई कि तिवारी ही रोहित शेखर के पिता हैं।

32 वर्षीय रोहित ने वर्ष 2008 में अदालत में याचिका दायर कर दावा किया था कि 86 वर्षीय तिवारी उनके पिता हैं, जबकि तिवारी इससे मुकरते रहे और डीएनए जांच के लिए पहले तो अपने बाल का नमूना देने से कतराए, फिर अपने रक्त का नमूना देने में आना-कानी करते रहे। लेकिन अदालत के सख्त निर्देश के आगे आखिकार उन्हें झुकना पड़ा और उन्होंने अदालत में आकर नहीं, बल्कि अपने घर पहुंची टीम को रक्त का नमूना दिया।

रक्त के नमूने की जांच हैदराबाद की डीएनए फिंगरप्रिंट एंड डायग्नोस्टिक्स ने की। सीलबंद लिफाफे में जांच की रिपोर्ट शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में खुलने के बाद रोहित के दावे की पुष्टि हो गई।

न्यायमूर्ति रेवा खेत्रपाल ने अपने कक्ष में रिपोर्ट खोली और खुली अदालत में घोषणा की कि तिवारी ही रोहित के पिता हैं।

न्यायमूर्ति ने कहा, "रिपोर्ट सीलबंद थी। परिणाम घोषित किए जाते हैं कि प्रतिवादी संख्या एक (तिवारी) ही वादी (रोहित) के पिता और प्रतिवादी संख्या दो (उज्‍ज्वला शर्मा) मां हैं।"

जब डीएनए रिपोर्ट खोली गई और नतीजे की घोषणा की गई उस वक्त तिवारी के वकील अदालत में मौजूद नहीं थे। इससे पहले तिवारी ने डीएनए जांच रिपोर्ट गोपनीय रखने की गुहार लगाई थी, जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया था।

रिपोर्ट खोलते हुए न्यायालय ने कहा, "वादी (रोहित) तथा प्रतिवादी संख्या दो (रोहित की मां) के वकील ने कहा कि इस मामले को लेकर तिवारी की ओर से खंडपीठ के समक्ष अपील की गई है। लेकिन वकील ने बताया कि अपील आज (शुक्रवार) सुबह खारिज कर दी गई है, इसलिए सील खोलने में अब कोई अड़चन नहीं है।"

न्यायालय ने कहा कि शाम चार बजे तक भी तिवारी की ओर से कोई अदालत में उपस्थित नहीं हुआ और न ही कि उनकी ओर से किसी ने इस पर स्थगन का अनुरोध किया है।

इस बीच, वयोवृद्ध कांग्रेस नेता तिवारी ने मुकदमे में अपनी हार स्वीकार करते हुए कहा कि इस मामले को कोई मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए और उन्हें अपनी शर्तों पर जीने का हक है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें न्यायालय द्वारा घोषित अपने पुत्र रोहित शेखर से कोई गिला-शिकवा नहीं है।

वहीं, मुकदमे में अपनी जीत पर शेखर ने कहा कि यह उनके और उनकी मां के लम्बे संघर्ष की जीत है। उन्होंने कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद थी कि एक उन्हें न्याय अवश्य मिलेगा।

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शेखर ने कहा, "मेरी जीत न्याय की जीत है। मैं दुआ करता हूं कि कभी किसी बेटे को खुद को साबित करने के लिए ऐसा संघर्ष न करना पड़े।"