...तो इस तरह प्रधानमंत्री बन गए डॉ. मनमोहन सिंह

कांग्रेस नेतृत्‍व वाले यूपीए गठबंधन ने 218 सीटों पर जीत दर्ज की थी जबकि बीजेपी नेतृत्‍व वाली एनडीए के खाते में 181 सीटों पर जीत दर्ज हुई थी.

...तो इस तरह प्रधानमंत्री बन गए डॉ. मनमोहन सिंह

...तो इस तरह प्रधानमंत्री बन गए डॉ. मनमोहन सिंह (फाइल फोटो)

खास बातें

  • संजय बारू ने पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को लेकर एक किताब लिखी थी
  • किताब चर्चा में रही और इसमें कई महत्वपूर्ण उल्लेख मिलते हैं
  • बारू 4 वर्षों तक प्रधानमंत्री के सलाहकार रहे
नई दिल्ली:

बात मई 2014 की है. सरकार बनाने की कवायद जारी थी. इंडिया शाइनिंग धूल धूसरित हो चुका था और जिसका सि‍तारा चमका था वह कोई और ही था. कांग्रेस नेतृत्‍व वाले यूपीए गठबंधन ने 218 सीटों पर जीत दर्ज की थी जबकि बीजेपी नेतृत्‍व वाली एनडीए के खाते में 181 सीटों पर जीत दर्ज हुई थी. प्रधानमंत्री कौन बनेगा यह सबसे बड़ा सवाल था. सोनिया गांधी के नेतृत्‍व में जीत दर्ज हुई थी तो कयास लगाए जा रहे थे कि सरकार का नेतृत्‍व उन्‍हीं के हाथों में होगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ और जो हुआ उस पर सहसा किसी को यकीन नहीं हो पा रहा था. हालांकि राजनीतिक गलियारे में एवं देश की राजनीति में भी यह नाम कोई नया नहीं था लेकिन प्रधानमंत्री पद के लिए चौंकाने वाला जरूर था.    

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संजय बारू एक संपादक के तौर पर काफी मशहूर रहे. आर्थ‍िक मामलों में दक्ष बारू तकरीबन 4 वर्षों तक प्रधानमंत्री के सलाहकार रहे. 2014 में उनकी किताब 'द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर : द मेकिंग एंड अनमेकिंग ऑफ मनमोहन सिंह' चर्चा में रही. अपनी किताब में उन्होंने जिक्र किया है कि मई 2004 के शुरुआती दिनों में जेएन दीक्षित और मैं (संजय बारू) बीबीसी के दफ्तर में आम चुनावों के भारतीय विदेश नीति और आर्थिक नीति पर पड़ सकने वाले नतीजों पर विमर्श कर रहे थे. यह वह दौर था जब अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए की वापसी की हवा बन रही थी. वाजपेयी ने चुनावों की तारीख छह महीने पहले कर दी थीं क्योंकि उन्हें आशा थी कि एनडीए वापसी कर सकती है. इंडिया शाइनिंग कैंपेन की सफलता को लेकर वह कमोबेश आश्वस्त थे. हालांकि आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र के किसानों की मौत की खबर से एनडीए की इमेज को झटका लगा था और एनडीए और यूपीए के बीच चुनावी युद्ध कांटे की टक्कर पर था. 

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इसी बीच बारू अपनी किताब में जिक्र करते हैं कि पूर्व विदेश सचिव दीक्षित ने रिटायरमेंट के बाद कांग्रेस जॉइन कर ली थी. वह लिखते हैं कि उस रात उनके साथ बीबीसी स्टूडियो में दीक्षित भी चर्चा कर रहे थे जब अचानक दीक्षित ने एंकर से कहा कि चर्चा को जल्द समाप्त करने की कोशिश करें क्योंकि उन्हें दिल्ली से बाहर पहाड़ी इलाकों में गर्मियां बिताने जाना है.

पुस्तक में बारू ने यह भी लिखा है कि साल 2003 में ही दीक्षित को सोनिया गांधी ने फॉरेन और नेशनल सिक्यॉरिटी पॉलिसी को लेकर ड्राफ्ट तैयार करने लिए ऑथराइज्ड किया था. इसके लिए एक डिस्कशन ग्रुप भी तैयार किया गया था जिसमें डॉक्टर मनमोहन सिंह भी थे. वह तब राज्यसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता थे. 

वह लिखते हैं कि कुछों को अंदेशा था कि कांग्रेस पार्टी सरकार बना सकती है. ऐसे में दीक्षित का यूं अचानक कार्यक्रम को रैप-अप करने के लिए कहना उन्हें 'अजीब' लगा होगा सो उन्होंने पूछा कि वह यहां (दिल्ली) नहीं रुकना चाहेंगे क्योंकि उनकी नई सरकार के गठन में जरूरत पड़ सकती है. उन्होंने हंसकर टाल दिया था. उन्होंने मुझे इशारा किया कि यदि कांग्रेस सरकार बनाती है तो नटवर सिंह सरकार में होंगे और वह खुद (दीक्षित) इसमें नहीं होंगे. उन्होंने बारू से पूछा कि क्या आपको लगता है कि हम जीत जाएंगे? इस बातचीत का हवाला देते हुए बारू कहते हैं कि हम दोनों में से किसी को भी तब यह नहीं पता कि एक महीने के भीतर ही हम दोनों पीएमओ में सहकर्मी होंगे. एक दिन बाद ही पता चल गया कि सोनिया गांधी के पास काफी सीटें आ चुकी हैं और वह नई गठबंधन सरकार बना सकती हैं.

संजय बारू ने इस दौरान लिखे अपने उस संपादकीय का भी जिक्र किया जो  ‘Thoughts on a Government’ के नाम से 15 मई को छपा था जिसमें उन्होंने कहा था कि सोनिया गांधी को सरकार बनाने के लिए डॉक्टर मनमोहन सिंह को आमंत्रित करना चाहिए और खुद कांग्रेस और घटक दलों की कोऑर्डिनेशन कमिटी की चेयरपर्सन बनकर सरकार के  कामकाज को देखना चाहिए. बारू कहते हैं कि सिंह को लेकर पीएम बनाने का आइडिया नया नहीं था और पांच साल पहले 25 मई 1999 में वह पहले भी यह कह चुके थे. 

बारू ने जिक्र किया है कि सोनिया गांधी का इटली का जन्म और जब तक कि उनका बेटा या बेटी इतने बड़े नहीं हो जाते कि पार्टी का कार्यभार संभाल सकें, वे पार्टी पर नियंत्रण रखेंगी- इन मसलों को उन्हें जल्द से जल्द दबाने की भी जरूरत थी. ऐसे में उन्हें सरकार के एक भरोसेमंद और काबिल प्रधान की जरूरत थी. 

बारू ने जिक्र किया है कि 18 मई को उनके मोबाइल पर आए उनके सहकर्मी रोहित बंसत के एक एसएमएस के जरिए पता चला कि सोनिया गांधी ने कहा है कि वह पीएम नहीं बनेंगी. रोहित  बंसल फाइनेंशल एक्सप्रेस के दिल्ली एडिशन के रेजिडेंट एडिटर थे. बारू कहते हैं कि उन्होंने सोचा कि स्टेप वन- वह पीएम नहीं बनेंगी, स्टेप टू- वह डॉक्टर सिंह को पीएम बनाएंगी. इसके बाद दिन खत्म होते होते सोनिया ने यह अनाउंस कर दिया था कि डॉक्टर सिंह गठबंधन सरकार के अगुवा होंगे.

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