आसमान छूते दामों के बीच ज़मीन पर गिरी दाल की पूछ बढ़ी

आसमान छूते दामों के बीच ज़मीन पर गिरी दाल की पूछ बढ़ी

दाल के भाव देश भर में आसमान छू रहे हैं। हालात यह है कि जमीन पर गिरी हुई दाल भी अब खरीदी और बेची जा रही है और सस्ते दामों पर खरीदने के लिए लोग भी इस बात की अनदेखी कर रहे हैं। क्या आपने कभी सोचा था कि इस तरह गिरी हुई दाल भी इतनी कीमती होगी। यूँ तो गिरी हुई दाल हमेशा ही उठाई जाती है लेकिन भाव बढ़ने के बाद इसे उठाने के लिए भी अब होड़ मची है।

रिहाना शेख एक खोमचे पर दाल बेचती हैं और बताती हैं  - 'गोडाउन में माल डालते वक़्त जो दाल गिरती है वो हम उठा कर साफ़ करते हैं  फिर बेचते हैं लेकिन जबसे दाल के दाम बढे हैं ये गिरी हुई दाल भी आसानी से नहीं मिलती। इसके लिए भी बहुत मारा मारी होती है।'

गिरी हुई दाल के बाज़ार

शहर में कई जगह ऐसे बाज़ार हर हफ्ते लगते हैं। बाहर 200 रुपये किलो मिलने वाली तुअर दाल इस बाज़ार में महज़ 100 रुपये में मिल रही है। बाज़ार में 100 रुपये प्रति किलो यहाँ महज़ 60 रूपये में मिल रही है। शहर भर से लोग इन बाज़ारों में दाल खरीदने आ रहे हैं और बढ़े हुए दाम से परेशान लोग गुणवत्ता की ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

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ग्राहकों का कहना है कि कीमतें देखकर दाल खरीदने की हिम्मत ही नहीं होती। दाल बेचने वालों का कहना है कि जब से दाल के भाव बढ़े हैं लोगों ने दाल खरीदना काफी कम कर दिया है। पुरानी कहावत है घर की मुर्गी दाल बराबर। आज यह कहावत सच भी साबित हो रही थी। आज दाल चिकन से भी महंगी हो गयी है। ऐसे में हमारे हुक्मरानों को सोचने की जरूरत है कि आम आदमी की थाली का सबसे जरूरी दाल का निवाला उसकी पहुँच से दूर क्यों होता जा रहा है।