प्रवर्तन निदेशालय ने एयरसेल-मैक्सिस मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदम्बम से ईडी ने फिर की पूछताछ

एयरसेल-मैक्सिस प्रकरण का संबंध विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) द्वारा मैसर्स ग्लोबल कम्युनिकेशन होल्डिंग सर्विसेज लिमिटेड को एयरसेल में निवेश के लिए दी गयी मंजूरी से है.

प्रवर्तन निदेशालय  ने एयरसेल-मैक्सिस मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदम्बम से ईडी ने फिर की पूछताछ

पी. चिदंबरम (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एयरसेल-मैक्सिस मनी लॉन्ड्रिंगमामले में पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदम्बम से फिर आज पूछताछ की है. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि चिदंबरम का बयान धनशोधन रोकथाम अधिनियम के तहत दर्ज किया जाएगा.    समझा जाता है कि जांच एजेंसी इस सौदे के बारे में चिदंबरम से कुछ नये सवाल करना चाहती है. उसने इससे पहले इस सौदे के बारे में एफआईपीबी के अधिकारियों का बयान दर्ज किया था. उम्मीद है कि  चिदंबरम का उन सभी से आमना-सामना कराया जाएगा.    पहले चिदंबरम से उनके वित्त मंत्री रहने के दौरान विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (जो अब अस्तित्व में नहीं है) द्वारा एयरसेल-मैक्सिस सौदे को मंजूरी देने में अपनायी गयी प्रक्रिया और तत्कालीन स्थिति के बारे में सवाल किये गये थे.    चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदम्बरम से इस मामले में ईडी से दो बार पूछताछ कर चुकी है. जून में ईडी की ऐसी ही पूछताछ के बाद चिदंबरम ने कहा था कि उन्होंने एजेंसी से जो कुछ कहा, वह पहले से ही सरकारी दस्तावेजों में दर्ज है. उन्होंने यह भी कहा था कि कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी है, उसके बाद भी जांच शुरु की गयी.उन्होंने ट्वीट किया था, ‘‘आधे से ज्यादा समय सवालों के जवाब को बिना किसी त्रुटि के टाईप करने, बयान को पढ़ने और उस पर दस्तखत करने में लगाया गया.’’

एयरसेल-मैक्सिस मामले की जांच कर रहे सीबीआई अधिकारी का कार्यकाल बढ़ा 

एयरसेल-मैक्सिस प्रकरण का संबंध विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) द्वारा मैसर्स ग्लोबल कम्युनिकेशन होल्डिंग सर्विसेज लिमिटेड को एयरसेल में निवेश के लिए दी गयी मंजूरी से है. सुप्रीम कोर्ट ने 12 मार्च को सीबीआई और ईडी को टू जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामलों की जांच, जिनमें एयरसेल मैक्सिस कथित धनशोधन प्रकरण भी शामिल है, छह महीने में पूरा करने का निर्देश दिया था. एजेंसी ने कहा था कि एयरसेल-मैक्सिस एफडीआई मामले में एफआईपीबी मंजूरी मार्च, 2006 में चिदंबरम ने दी थी जबकि वह 600 करोड़ रुपये तक ही परियोजना प्रस्तावों को मंजूरी देने के लिए अधिकृत थे, और उससे अधिक की राशि के लिए आर्थिक मामलों से संबंधित मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) से मंजूरी जरुरी थी.

CBI ने पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम को बनाया आरोपी​

ईडी तत्कालीन वित्तमंत्री द्वारा दी गयी एफआईपीबी मंजूरी की स्थितियों की जांच कर रही है.     ईडी ने आरोप लगाया, ‘‘इस मामले में 80 करोड़ डॉलर (3500 करोड़ रुपये से अधिक) एफडीआई की मंजूरी मांगी गयी थी. अतएव सीसीईए ही मंजूरी देने के लिए अधिकृत थी।. लेकिन सीसीईए से मंजूरी नहीं ली गयी. ’

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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