यह ख़बर 08 मई, 2011 को प्रकाशित हुई थी

बस्तर उपचुनाव : ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं निकले मतदाता

खास बातें

  • छत्तीसगढ़ की बस्तर लोकसभा सीट के लिए रविवार को हो रहे मतदान के दौरान शहरी और वन क्षेत्रों के मतदान केंद्रों पर हालात खराब रहे।
रायपुर:

छत्तीसगढ़ के बस्तर लोकसभा सीट के लिए रविवार को हो रहे मतदान के दौरान शहरी और वन क्षेत्रों के मतदान केंद्रों पर बिल्कुल विपरीत हालात देखने को मिले। नक्सलियों की छिटपुट गोलीबारी के बीच दोपहर तक 11.94 लाख मतदाताओं में से 20-22 प्रतिशत ने मतदान किया। अधिकारियों के मुताबिक, शहरी मतदान केंद्रों पर सुबह 8 बजे से ही मतदाताओं की कतार देखी गई, वहीं दूर-दराज के इलाकों में नक्सलियों के डर से मतदान केंद्रों पर मतदाता न के बराबर दिखे। पुलिस के अनुसार, 1,716 मतदान केंद्रों पर सुरक्षित और शांतिपूर्वक मतदान के लिए 15,000 अर्धसैनिक बलों के साथ 25,000 सुरक्षा कर्मी तैनात किए गए हैं। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में, जहां सड़क तथा आसपास बारूदी सुरंग बिछाई गई है, हवाई निरीक्षण के लिए पांच हेलीकॉप्टर भी लगाए गए हैं। उधर, नारायणपुर-ओरछा सड़क पर ईंट-पत्थर बिछाकर नक्सलियों ने उसे बंद कर दिया है। दंतेवाड़ा जिले के दूर-दराज के इलाकों में कम से कम पांच स्थानों से गोली की आवाज सुनी गई। बिजापुर जिले के मतदान केंद्र संख्या 155 पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन खराब हो जाने के कारण मतदान 90 मिनट तक बाधित रहा। गौरतलब है कि बस्तर बुरी तरह नक्सली गतिविधियों की चपेट में है। लगभग 80 प्रतिशत वन क्षेत्रों पर नक्सलियों की पकड़ है। यहां से आठ उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। मुख्य लड़ाई हालांकि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विपक्षी पार्टी कांग्रेस के बीच है। जनजातियों के लिए आरक्षित इस सीट से भाजपा चार बार चुनाव जीत चुकी है। भाजपा सांसद बलिराम कश्यप के इस साल मार्च में निधन से सीट रिक्त होने के कारण यहां उप चुनाव कराए जा रहे हैं। भाजपा ने उनके बेटे दिनेश कश्यप को अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि कवासी लखमा कांग्रेस के प्रत्याशी हैं। वह इस वक्त कोटा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक हैं।


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