एक्स्क्लूसिव: सैटेलाइट इमेज से खुलासा- डोकलाम में चीन ने गांव बसाने के साथ 9KM लंबी सड़क भी बनाई

डोकलाम पठार की पूर्वी परिधि पर चीनी सड़क और गाँव के निर्माण के स्पष्ट प्रमाण गुरुवार को तब सामने आए जब चीन के राज्य प्रायोजित मीडिया CGTN के सीनियर प्रोड्यूसर शेन शिवेई ने एक नदी के किनारे बसाए गए गाँवों के एक साथ कई चित्र दिखाए.

एक्स्क्लूसिव: सैटेलाइट इमेज से खुलासा- डोकलाम में चीन ने गांव बसाने के साथ 9KM लंबी सड़क भी बनाई

डोकलाम में भूटान सीमा से 2.5 किमी की दूरी पर स्थित पंगड़ा गांव, जहां 8 दिसंबर 2019 और 28 अक्टूबर, 2020 को निर्माण गतिविधियों के स्पष्ट सबूत मिले.

नई दिल्ली:

एनडीटीवी ने उस हाई रिजॉल्यूशन सैटेलाइट इमेजरी (Satelite Imagery) का विश्लेषण किया है, जिसमें भारत से सटे भूटान की सीमाक्षेत्र में चीनी निर्माण के सबूत छिपे हैं. सैटेलाइट इमेजरी की एनालिसिस से साफ पता चलता है कि चीन ने डोकलाम पठार (Doklam Plateau) के पूर्वी हिस्से पर भूटानी क्षेत्र के भीतर 2 किलोमीटर की दूरी पर न केवल गांव बसाया है बल्कि चीन ने भारतीय सीमा क्षेत्र तक पहुंच रखने वाली 9 किनोमीटर लंबी सड़क भी बनाई है.

यह समझा जाता है कि यह सड़क चीनी सेना को जम्पेलरी रिज (Zompelri ridge) तक पहुंचने में वैकल्पिक रास्ता दे सकती है, जिसे भारतीय सेना ने 2017 में चीनी सेना के साथ डोकलाम में हुई झड़प के बाद रोक दिया था. तब 
चीनी निर्माण श्रमिकों ने डोका ला में भारतीय सेना की चौकी के पास अपने मौजूदा ट्रैक को बढ़ाकर जम्प्लेरी रिज तक पहुंचने की कोशिश की थी लेकिन भारतीय सैनिकों ने उसके मंसूबों को नाकाम कर दिया था. भारतीय सैनिकों ने सीमा पार कर चीनी बुल्डोजर्स को आगे बढ़ने से रोक दिया था.  यह इलाका सिक्किम की सीमा और डोकलाम के बीच पड़ता है.

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तीन साल बाद, अब अलग-अलग धुरी पर काम करने वाले चीनी निर्माण श्रमिकों ने टोरसा नदी के किनारे एक नई सड़क का निर्माण किया है, जो चीन और भूटान के बीच की सीमा से सटे दक्षिण की ओर फैली हुई है. यह साल 2017 में भारत-चीन के बीच हुए डोकलाम गतिरोध के बिन्दु से 10 किलोमीटर दूर है. यह गतिरोध तब दो महीने से ज्यादा लंबा चला था और इसका पटाक्षेप तब हुआ था, जब अप्रैल 2018 में पीएम नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की वुहान में मुलाकात हुई थी. तब दोनों नेताओं ने डोकलाम में तनाव कम करने पर सहमति जताई थी.

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रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ, डॉ. ब्रह्म चेलानी कहते हैं, "चीनी सैनिकों ने 2017 के गतिरोध स्थल को भले ही अछूता छोड़ दिया है, जो डोकलाम के एक कोने में स्थित है, लेकिन धीरे-धीरे चीन ने  डोकलाम के बाकी क्षेत्र में यथास्थिति के हालात में बदलाव किया है. उनलोगों ने डोकलाम में बिल्डिंग और रोड जैसे स्थाई निर्माण किए हैं. यहां तक कि पठार पर एक गांव बसा दिया है जो तीन साल पहले अस्तित्व में नहीं था."

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डोकलाम पठार की पूर्वी परिधि पर चीनी सड़क और गाँव के निर्माण के स्पष्ट प्रमाण गुरुवार को तब सामने आए जब चीन के राज्य प्रायोजित मीडिया CGTN के सीनियर प्रोड्यूसर शेन शिवेई ने एक नदी के किनारे बसाए गए गाँवों के एक साथ कई चित्र दिखाए. उन्होंने ट्वीट किया था, ''अब, हमारे पास स्थायी रूप से नवस्थापित पंगड़ा गांव में रहने वाले लोग हैं. यह एक घाटी में है जो यादोंग देश के 35 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है. यहां स्थान दिखाने के लिए एक मानचित्र भी है.''

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अमेरिकी टेक्नोलॉजी कंपनी 'मैक्सर' द्वारा व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए तैयार की गई सैटेलाइट इमेजरी से स्पष्ट हुआ है कि इसी साल डोकलाम क्षेत्र में ये निर्माण गतिविधियां हुई हैं, जो टोरसा नदी घाटी क्षेत्र में व्यापक सड़क-निर्माण / निर्माण गतिविधि के साथ-साथ डोकलाम क्षेत्र के पास चीन में निर्मित होने वाले नए सैन्य भंडारण बंकरों "के रूप में हुई है.

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अमेरिकी कंपनी की सैटेलाइट इमेजरी 19 नवंबर को भारत में भूटान के राजदूत मेजर जनरल वोटसोप नामग्याल के बयान से इत्तेफाक नहीं रखती, जिसमें भूटानी अधिकारी ने भरोसा दिलाया था कि भूटान की सीमा क्षेत्र में कोई चीनी गांव नहीं बसाया गया है. सैटेलाइट इमेजरी में 8 दिसंबर 2019 और 28 अक्टूबर 2020 की गतिविधियां कैद हुई हैं, जिसमें स्पष्ट तौर पर कंस्ट्रक्शन वर्क दिख रहा है.

वीडियो- भूटान के 2 किलोमीटर अंदर चीन का कब्जा?
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