Exclusive: मध्यप्रदेश में स्कूल नहीं जाने वाली बच्चियों को दिये जाने वाले राशन में बड़ा घोटाला

कैग रिपोर्ट बताती है कि राज्य में जिन 2 लाख 8 हजार 531 बच्चियों का कोई अस्तित्व ही नहीं हैं, उनमें से करीब 1.71 लाख से अधिक को कागजों में ही हर साल करीब 60 करोड़ रुपए का टेकहोम राशन बांट दिया गया.

खास बातें

  • सरकार इसके लिए दोष कांग्रेस को दे रही है
  • कांग्रेस कहती है शिवराज सिंह चौहान फेल हैं
  • कैग ने सभी 52 जिलों में जांच शुरू कर दी है
भोपाल:

मध्यप्रदेश में हर सरकारी कार्यक्रम से पहले कन्या पूजन का आयोजन होता है, थाल में पैर धुलाए जाते हैं. उसी मध्यप्रदेश में बच्चियों की थाली चुरा ली गई है. राज्य में कोरोना काल में स्कूल नहीं जाने वाली बच्चियों को दिये जाने वाले राशन में बड़ा घोटाला (Ration Scam in Madhya Pradesh) सामने आया है, लाखों बच्चियों को कागज पर ही राशन बांट दिया गया. इस घोटाले को भी राज्य सरकार ने नहीं बल्कि राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (NCPCR) ने पकड़ा और आर्थिक अपराध शाखा को मामला दर्ज करने के आदेश दिये. कैग रिपोर्ट बताती है कि राज्य में जिन 2 लाख 8 हजार 531 बच्चियों का कोई अस्तित्व ही नहीं हैं, उनमें से करीब 1.71 लाख से अधिक को कागजों में ही हर साल करीब 60 करोड़ रुपए का टेकहोम राशन बांट दिया गया. एनडीटीवी के हाथ राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (NCPCR) की वो चिठ्ठी लगी है जो उसने आर्थिक अपराध शाखा को मामला दर्ज कर जांच करने के लिये भेजी है.

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इस आदेश के साथ बैतूल, ग्वालियर, डिंडोरी और सिंगरौली जिलों की कैग की जांच रिपोर्ट भी संलग्न है. मामला डेढ़ साल पहले आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो के विदिशा दौरे से खुला था, जहां बच्चियों के रजिस्ट्रेशन और उपस्थिति में बड़ा अंतर था. इसके बाद सरकार से 11-14 साल की ऐसी बच्चियों की जानकारी मांगी, जो स्कूल नहीं जाती हैं. पता लगा 2,17,211 बच्चियां हैं, जो स्कूल नहीं जाती, उनमें से 1,71,365 को आंगनवाड़ियों के जरिए टेकहोम राशन दिया जाता है. इसके बाद स्कूल शिक्षा विभाग से इन बच्चियों को स्कूली शिक्षा के दायरे में लाने के निर्देश के साथ ड्रॉपआउट बच्चों की जानकारी मांगी गई.

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स्कूल शिक्षा विभाग ने कहा सिर्फ 23,491 बच्चे ही ऐसे हैं जो स्कूल के दायरे से बाहर हैं, इसमें भी 11 से 14 साल की बच्चियों की संख्या सिर्फ 8680 है. फिलहाल 4 जिलों में जांच हुई तो पता लगा, बैतूल में महिला बाल विकास विभाग ने ड्रॉप आउट का आंकड़ा 2801 कहा था, थे 116. यहां टेक होम रोशन में 117.25 लाख की अनियमितता मिली. ग्वालियर में 74,790 बच्चों का आंकड़ा बताया गया, स्कूल से बाहर 212 बच्चे थे. यहां 128.54 लाख की अनियमितता पकड़ी गई. डिंडौरी में 98,160 बच्चों का आंकड़ा बताया था, ड्रॉप आउट 89 मिले, 51.04 लाख की अनियमितता पकड़ी गई. सिंगरौली में 53,554 बच्चों को ड्रॉप आउट बताया गया, मिला 0, यहां भी 130.02 लाख का भ्रष्टाचार पकड़ में आया.

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हालांकि सरकार दोष कांग्रेस को दे रही है. कांग्रेस कहती है शिवराज फेल हैं. चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा जो भी मामला सामने आया है उसमें दोषी है उसपर कार्रवाई होगी लेकिन ये व्यवस्था कांग्रेस के समय में दुर्वव्यस्था का परिणाम है. जो भी मामला सामने आया वो कांग्रेस की सरकार में होते थे, हमारी सरकार ने तो पकड़ा है उसको. वहीं कांग्रेस नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री जीतू पटवारी ने कहा, 'एक तरफ महिलाओं के सम्मान की बात हो रही है, एक तरफ लगातार घपले घोटाले हो रहे हैं, मैं मानता हूं शिवराज सिंह फेल हैं.' फिलहाल मामले में कैग ने सभी 52 जिलों में इसकी जांच शुरू कर दी है.