8 अगस्त 1942 को महात्मा गांधी ने दिया था 70 मिनट का भाषण, पढ़ें- भारत छोड़ो आंदोलन से जुड़ी 8 खास बातें

इस आंदोलन के 75 साल हो गए हैं. इसी आंदोलन की तीव्रता ऐसी थी कि धीरे-धीरे आजादी की चेतना हर भारतवासी के मन में समा गई और पूरा देश एक ही आवाज में बोल रहा था 'अंग्रेजो भारत छोड़ो.. 

8 अगस्त 1942 को महात्मा गांधी ने दिया था 70 मिनट का भाषण, पढ़ें- भारत छोड़ो आंदोलन से जुड़ी 8 खास बातें

फाइल फोटो

नई दिल्ली:

भारत में ब्रिटिश हुकूमत की जड़ें हिला देने वाले 'भारत छोड़ो आंदोलन' की आज 75 वीं वर्षगांठ है. इस मौके परपीएम मोदी ने भी संसद में इस आंदोलन को याद करते हुए महात्मा गांधी के बारे में कई बातें कहीं. इतिहास की कई किताबों में आजादी से जुड़े इस आंदोलन पर विस्तार से चर्चा की गई है. लेकिन सवाल इस बात का है क्या जिस उद्देश्य को लेकर इसको शुरू किया गया था उसके कितने पास तक देश पहुंचा है. इस आंदोलन के 75 साल हो गए हैं. इसी आंदोलन की तीव्रता ऐसी थी कि धीरे-धीरे आजादी की चेतना हर भारतवासी के मन में समा गई और पूरा देश एक ही आवाज में बोल रहा था 'अंग्रेजो भारत छोड़ो.. 

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इस आंदोलन से जुड़े कुछ तथ्य
1- 8 अगस्त 1942 को मुंबई के गोवालिया टैंक मैदान पर अखिल भारतीय कांग्रेस महासमिति ने एक प्रस्ताव पारित किया था जिसे 'भारत छोड़ो' के नाम से जाता है. इससे पहले भी आजादी के संघर्ष के लिए कांग्रेस ने कई प्रस्ताव पारित किए थे लेकिन इस प्रस्ताव ने पूरी लड़ाई का नया मोड़ दे दिया था. उसी रात देश के कई नेताओं को ब्रिटिश हुकूमत ने जेल में डाल दिया था. 

2- कांग्रेस के इस सम्मेलन में महात्मा गांधी ने आधे घंटे से ज्यादा समय तक भाषण दिया था. इसी भाषण में उन्होंने नारा दिया था 'करो या मरो'. जिसका सीधा अर्थ निकाला गया कि भारत  की जनता देश की आजादी के लिए हर कोशिश करे. 

3- 9 अगस्त की सुबह अंग्रेज सरकार के 'ऑपरेशन ज़ीरो ऑवर' के तहत कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया और गांधी जी को पूना के 'आगा ख़ाँ महल' में तथा कांग्रेस कार्यकारिणी के अन्य सदस्यों को अहमदनगर के दुर्ग में रखा गया. 

4- कांग्रेस को अवैध संस्था घोषित कर और इसकी सम्पत्ति को जब्त कर ली गई. जुलूसों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया.
5- गांधी जी सहित सभी बड़े नेता जेल में थे. आंदोलन की अगुवाई के लिए कोई जनता ने खद ही मोर्चा संभाल लिया. आंदोलन की तीव्रता बढ़ती जा रही थी और अंग्रेज सरकार हैरान थी कि बिना किसी नेता के आंदोलन चरम पर कैसे पहुंच रहा है.

6-  सरकार ने जब आन्दोलन को दबाने के लिए लाठी और बंन्दूक का सहारा लिया तो जनता भी हिंसक हो गई. रेल की पटरियाँ उखाड़ी गईं और स्टेशनों को आग के हवाले कर दिया गया. मुंबई, अहमदाबाद जमशेदपुर में मज़दूरों ने हड़ताल कर दी. संयुक्त प्रांत में बलिया एवं बस्ती, बम्बई में सतारा, बंगाल में मिदनापुर एवं बिहार के कुछ भागों में 'भारत छोड़ो आन्दोलन' के समय अस्थायी सरकारों का ऐलान कर दिया गया.

7- सरकार ने 13 फ़रवरी, 1943 ई. को 'भारत छोड़ो आन्दोलन' के समय हुए विद्रोहों का पूरा दोष महात्मा गाँधी एवं कांग्रेस पर लगा दिया. भारत में इसे आंदोलन का नाम अगस्त क्रांति के नाम से भी जाना जाता है.

8-  लॉर्ड वावेल की जगह लॉर्ड माउंटबेटन को फ़रवरी 1947 ई. में भारत का वायसराय नियुक्त किया गया.  इसके बाद कई तरह के संघर्षों के बाद आखिरकार 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हो गया.

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