असम के चिरांग में हुआ फर्जी एनकाउंटर, आईजी राय की रिपोर्ट से मची खलबली

असम के चिरांग जिले में 30 मार्च को एक एनकाउंटर में दो बोडो उग्रवादियों को सुरक्षा बलों ने मार गिराया था

असम के चिरांग में हुआ फर्जी एनकाउंटर, आईजी राय की रिपोर्ट से मची खलबली

प्रतीकात्मक फोटो.

खास बातें

  • केंद्रीय गृह सचिव ने डीजी सीआरपीएफ भटनागर को तलब किया
  • जांच के बाद कसूरवार अधिकारियों के खिलाफ होगी सख्त कार्रवाई
  • रजनीश राय ने सोहराबुद्दीन मामले की भी जांच की थी
नई दिल्ली:

केंद्रीय गृह मंत्रालय में 1992 बैच के आईपीएस अफसर रजनीश राय की एक रिपोर्ट पर खलबली मच गई है. इस रिपोर्ट में उन्होंने चिरांग में हुए एक एनकाउंटर को फर्ज़ी करार दिया है. खलबली इसलिए है क्योंकि इसी अफसर ने सोहराबुद्दीन मामले की जांच की थी और गिरफ्तारियों का सिलसिला शुरू किया था.

केंद्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि ने बुधवार की शाम को डीजी सीआरपीएफ आरआर भटनागर को तलब किया और जानना चाहा कि आखिर आईजी रजनीश राय जो कि सीआरपीएफ के असम तथा पूर्वोत्तर भारत के अन्य क्षेत्रों में उग्रवाद-विरोधी बल के प्रभारी हैं की रिपोर्ट में कितनी सच्चाई है. रजनीश राय ने किसके कहने पर यह रिपोर्ट सीआरपीएफ मुख्यालय भेजी.

मीटिंग के बाद डीजी सीआरपीएफ आरआर भटनागर ने एनडीटीवी इंडिया को बताया कि राय ने रिपोर्ट उनके काम सम्भालने से पहले एक्टिंग डीजी सुदीप लखटकिया को भेजी थी. उन्होंने कहा "इस मामले में पहले ही असम पुलिस जांच कर रही है, इसीलिए इसमें दूसरी जांच शुरू नहीं की जा सकती."

उधर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सीआरपीएफ से इस रिपोर्ट के बारे में जवाब तलब करते हुए पूछा है कि क्या यह अनुशासनहीनता का मामला बनता है, क्योंकि रजनीश राय ने जांच रिपोर्ट सीआरपीएफ के अलावा राज्य पुलिस के साथ-साथ अर्धसैनिक बलों के डीजी को भी भेजी है.

एनडीटीवी इंडिया को मिली जानकारी के मुताबिक मंत्रालय का मानना है कि यह एक प्रशासनिक रिपोर्ट है जिस पर अंदरूनी जांच होगी. अगर सही पाई गई तो कसूरवार अधिकारियों के खिलाफ सख्त प्रशासनिक कार्रवाई की जा सकती है. आईजी की रिपोर्ट पोस्टफ़ाक्टो है इसलिए इसे सीक्वेंस ऑफ़ इवेंट से मिलाने की जरूरत है. यह इसीलिए भी अहम है क्योंकि पहले ही फर्ज़ी एनकाउंटर के मामले में राज्य पुलिस जांच कर रही है.

मंत्रालय ने सीआरपीएफ से पूछा है कि रजनीश राय इस फैसले पर कैसे पहुंचे कि यह एक फर्ज़ी एनकाउंटर है. क्या उन्होंने सही चश्मदीदों से बात की है. या फिर फोरेंसिक सबूतों के आधार पर वे ऐसा कह रहे हैं.

असम के चिरांग जिले में 30 मार्च को एक एनकाउंटर में दो बोडो उग्रवादियों को सुरक्षा बलों ने मार गिराया था. रिपोर्ट में राय ने लिखा है कि बोडो उग्रवादियों को एनकाउंटर में नहीं मारा गया, बल्कि पहले पकड़ा गया और फिर मारा. यानी मानवाधिकार नियमों का उल्लंघन हुआ है.


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